क्या ओडिशा में एसआईआर प्रक्रिया शुरू करना स्वागतयोग्य कदम है?

सारांश
Key Takeaways
- ओडिशा में एसआईआर प्रक्रिया का आरंभ
- मतदाता सूची की सटीकता
- लोकतंत्र को मज़बूत करने का कदम
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता
- सामाजिक समावेशिता
भुवनेश्वर, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आर. शांता गोपालन ने यह जानकारी दी है कि राज्यभर में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शीघ्र शुरू होगा।
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने चुनाव आयोग के इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे लोकतंत्र को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की गारंटी और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मतदाता सूची का पुनरीक्षण अत्यावश्यक है। यह प्रक्रिया चुनाव प्रबंधन और लोकतांत्रिक प्रणाली की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
विपक्ष द्वारा चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर उठाए गए सवालों को पृथ्वीराज हरिचंदन ने गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि ऐसी आलोचना के लिए कोई ठोस आधार या प्रमाण नहीं है। विपक्ष को अपने आचरण पर विचार करना चाहिए और प्रमाणों के आधार पर बात करनी चाहिए। जो दल चुनाव आयोग पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, वे खुद कई मौकों पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने का कार्य कर चुके हैं।
उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और यह निष्पक्ष तरीके से कार्य करती है। ओडिशा में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) भविष्य के चुनावों से पहले चुनावी ढांचे को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ज्ञात हो कि ओडिशा में 24 वर्षों बाद विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) किया जा रहा है, क्योंकि पिछला एसआईआर 2002 में किया गया था। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मतदाता सूची सटीक हो और राज्य के सभी योग्य मतदाताओं की जानकारी इसमें सम्मिलित हो।
संशोधन के बाद अंतिम मतदाता सूची 7 जनवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी, जिससे नागरिकों को अपने विवरणों को सत्यापित करने और सही कराने का पर्याप्त समय मिल सके।