क्या ओडिशा के सहारागोडा गांव में मादा हाथी की मौत की जांच शुरू हुई?

सारांश
Key Takeaways
- सहारागोडा गांव में मादा हाथी का शव मिला।
- वन विभाग ने जांच शुरू की है।
- पोस्टमॉर्टम के जरिए मौत के कारणों का पता लगाया जाएगा।
- कोई बाहरी चोट के निशान नहीं मिले हैं।
- स्थानीय निवासियों से सतर्क रहने की अपील की गई है।
भुवनेश्वर, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा के अंगुल रेंज में स्थित सहारागोडा गांव के निकट शनिवार सुबह एक मादा हाथी का शव पाया गया। यह शव बुदबुदिया जंगल के पास एक खुले मैदान में पड़ा था, जिसे स्थानीय निवासियों ने देखा और तत्परता से वन विभाग को सूचित किया। सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी घटनास्थल पर पहुंचे और जांच की प्रक्रिया आरंभ कर दी।
अंगुल के मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) नितिश कुमार ने बताया कि घटना की गहन जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग टीम का गठन किया गया है। उन्होंने कहा, "इस हाथी की मृत्यु के कारणों का पता लगाने के लिए एक विशेष टीम मौके पर पहुंच चुकी है। हाथी के शव का पोस्टमॉर्टम किया जाएगा, और रिपोर्ट के बाद ही सही कारण स्पष्ट होगा।"
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, मादा हाथी की उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच थी। वन अधिकारियों के अनुसार, हाल के दिनों में इस क्षेत्र में एक हाथी झुंड की गतिविधियाँ देखी गई थीं, और विभाग उनकी निगरानी कर रहा था। हाथी के शव पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं मिले हैं, जिससे वन विभाग ने इसे शिकार का मामला नहीं माना है। फिर भी, संपूर्ण जांच और पोस्टमॉर्टम के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी।
इस घटना से पहले, मई 2025 में अंगुल जिले के बंटाला वन रेंज के तालसिरा गांव के पास एक 8-10 वर्षीय नर हाथी की अवैध बिजली के तार से करंट लगने के कारण मृत्यु हो गई थी। हालांकि, वन अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सहारागोडा में हुई इस ताजा घटना का पिछले मामले से कोई संबंध नहीं पाया गया है।
वन विभाग ने कहा है कि क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए पहले से ही निगरानी की जा रही है। डीएफओ और एक मेडिकल टीम मौके पर पहुँच चुकी है, जो हाथी के शव का गहन परीक्षण कर रही है। वन विभाग ने आश्वासन दिया है कि जांच में सभी पहलुओं की पड़ताल की जाएगी और निष्कर्षों के आधार पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
स्थानीय निवासियों से अपील की गई है कि वे जंगल के आसपास सतर्क रहें और किसी भी असामान्य गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को दें।