क्या पाबीबेन रबारी सैकड़ों महिलाओं को रोजगार दे रही हैं और कच्छ की हस्तकला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला रही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- पाबीबेन रबारी ने 300 से अधिक महिलाओं को रोजगार प्रदान किया है।
- उनकी वेबसाइट पाबीबेन डॉट कॉम हस्तकला में एक महत्वपूर्ण नाम है।
- उन्होंने शार्क टैंक इंडिया में 50 लाख रुपये का फंड जीता।
- कच्छ की रबारी भरतकाम को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है।
- वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस में उनकी कहानी साझा की जाएगी।
गांधीनगर, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। गुजरात का कच्छ जिला हमेशा से कला एवं हस्तकला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहा है। कच्छ के कुकडसर गांव में जन्मी पाबीबेन रबारी ने हस्तकला में एक अद्वितीय पहचान बनाई है और रबारी भरतकाम (कशीदाकारी) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई है।
पाबीबेन, जिन्होंने चौथी कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी थी, आज एक सफल एंटरप्रेन्योर हैं और सैकड़ों महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं। उनकी कहानी आगामी वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस (वीजीआरसी) में प्रदर्शित की जाएगी, जिससे अन्य महिलाएं प्रेरित होंगी।
पाबीबेन का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। उनके पिता की मृत्यु के बाद, उन्होंने अपनी माँ के साथ पानी भरने का कार्य किया, जिसमें उन्हें 1 रुपये का वेतन मिलता था। लेकिन पाबीबेन ने हार नहीं मानी और कम उम्र से ही कशीदाकारी सीखना शुरू किया। आज, वे पाबीबेन डॉट कॉम (पाबी डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड) के माध्यम से 300 से अधिक महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। हाल ही में, उन्हें शार्क टैंक इंडिया में 50 लाख रुपये का फंड भी मिला है।
2017 में, पाबीबेन ने पांच कारीगरों के साथ अपनी यात्रा शुरू की थी और अब सैकड़ों महिलाओं के लिए आर्थिक अवसरों का सृजन किया है। उनके हस्तनिर्मित उत्पाद, जैसे कि हरी जरी वर्क और प्राकृतिक थैलों की विविधता, न केवल बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड की फिल्मों में भी प्रदर्शित हो चुके हैं। उनके काम ने वैश्विक मंच पर स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट, टेक्सटाइल म्यूजियम और अन्य प्रसिद्ध ब्रांड्स में पहचान बनाई है।
पाबीबेन ने न केवल कच्छ, बल्कि पूरे गुजरात की महिलाओं को प्रेरित किया है। उनकी कहानी वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस में साझा की जाएगी, जहां महिलाओं को परंपरागत कौशल अपनाने और टिकाऊ आजीविका प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।