'मन की बात': क्या पीएम मोदी ने 2 अक्टूबर को खादी प्रोडक्ट खरीदने का आह्वान किया?

सारांश
Key Takeaways
- 2 अक्टूबर को खादी का उत्पादन खरीदने का आह्वान
- गांधी जयंती के महत्व को समझना
- स्वदेशी उत्पादों को समर्थन देना
- हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट में नवाचार
- स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना
नई दिल्ली, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों से 2 अक्टूबर को खादी प्रोडक्ट खरीदने की गुजारिश की है। रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 126वें एपिसोड में उन्होंने कहा कि इस खास दिन को मनाने के लिए खादी का कोई भी उत्पाद अवश्य खरीदें और गर्व से कहें- ये स्वदेशी हैं। इसे सोशल मीडिया पर 'वोकल फॉर लोकल' के साथ साझा करें।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया, "2 अक्टूबर को गांधी जयंती है। गांधी जी ने हमेशा स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की प्रेरणा दी और खादी इस दिशा में सबसे प्रमुख रही है। आजादी के बाद खादी की महत्ता में कमी आई थी, लेकिन पिछले 11 वर्षों में लोगों का आकर्षण फिर से बढ़ा है। हाल के वर्षों में खादी की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।"
उन्होंने बताया कि खादी के साथ-साथ हमारे हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट सेक्टर में भी कई सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। हमारे देश में ऐसे कई उदाहरण हैं जो दिखाते हैं कि परंपरा और नवाचार को जोड़ने से अद्भुत परिणाम मिल सकते हैं।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने झारखंड के आशीष सत्यव्रत साहू की कहानी साझा की। उन्होंने कहा, "सत्यव्रत साहू ने जोहारग्राम ब्रांड के जरिए आदिवासी बुनाई और परिधानों को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया है। उनके प्रयासों से झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर अब विदेशी लोगों के बीच भी पहचान बना रही है।"
तमिलनाडु के 'याझ नेचुरल्स' की पहल का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि अशोक जगदीशन और प्रेम सेल्वाराज ने कॉर्पोरेट नौकरी छोड़कर घास और केले के रेशे से फाइबर और योगा मैट बनाए। उन्होंने हर्बल रंगों से कपड़े रंगने का काम भी किया और 200 परिवारों को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार भी दिया।
बिहार के मधुबनी जिले की स्वीटी कुमारी के 'संकल्प क्रिएशन' का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने मिथिला पेंटिंग को आजीविका का साधन बनाया है, जिसमें 500 से अधिक ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, "ये सफलताएँ यह सिखाती हैं कि हमारी परंपराओं में आय के अनगिनत साधन छिपे हैं। यदि इरादा मजबूत हो, तो सफलता प्राप्त करना संभव है।"