क्या हमारा उद्देश्य पुलिस और सीआरपीएफ फोर्स के लिए लेटेस्ट ड्रोन टेक्नोलॉजी को पेश करना है? : आधार बंसल
 
                                सारांश
Key Takeaways
- नवीनतम ड्रोन तकनीक की प्रदर्शनी
- पुलिस और सीआरपीएफ के लिए नई तकनीक
- पानी के अंदर काम करने वाली तकनीक
- १५ देशों की १४० कंपनियों की भागीदारी
- सेना और सीमा बलों के लिए सहयोग
नई दिल्ली, ३१ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। नेक्सजेन एग्जीबिशन के डायरेक्टर आधार बंसल ने गुरुवार को बताया कि इंटरनेशनल ड्रोन एक्सपो कार्यक्रम के अंतर्गत इस प्रकार की नवीनतम तकनीक पेश की जा रही है, जिसे सेना और सीमा बलों द्वारा पहले कभी नहीं उपयोग किया गया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रस्तुत की जाने वाली तकनीक पानी के नीचे भी कार्य करती है, जो एक अद्वितीय विशेषता है।
बंसल ने नई दिल्ली में आयोजित '६वें इंटरनेशनल ड्रोन एक्सपो' के दौरान समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि "१५ देशों से १४० कंपनियां इस कार्यक्रम में अपनी विशेष तकनीक लेकर आई हैं। सर्विलेंस, सिस्टम कंट्रोल, एक्सेस कंट्रोल, ड्रोन और एंटी ड्रोन तकनीक इस कार्यक्रम में प्रदर्शित की जा रही हैं।"
उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य पुलिस और सीआरपीएफ बलों के लिए नवीनतम तकनीक लाना है ताकि वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सही तकनीक का चयन कर सकें।"
कार्यक्रम में एनएसजी, आईबी, रक्षा मंत्रालय, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, सेना और २० राज्यों से डेलीगेशन शामिल हैं।
बंसल ने बताया कि उनके पास मौजूद ड्रोन न केवल सतह पर बल्कि पानी के अंदर भी कार्य कर सकते हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा, "हमारा ध्यान एंटी ड्रोन तकनीक पर भी है ताकि जरूरत पड़ने पर इसे लागू किया जा सके। यहां प्रदर्शित तकनीक निश्चित रूप से सेना और सीमा बलों के लिए सहायक होगी।"
कार्यक्रम में भारत की स्वदेशी ड्रोन कंपनी अक्सी एयरोस्पेस ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज अकुला ने बताया कि वे अपने ऑटो पायलट, बैटरी और अन्य स्वदेशी ड्रोन कंपोनेंट्स को प्रदर्शित करने आए हैं।
उन्होंने कहा, "हमने हैदराबाद में भारत की एक ड्रोन निर्माण यूनिट की स्थापना की है। हमारे आरएंडडी सेंटर भी वहीं हैं। इस निर्माण यूनिट के तहत हमें ८५ करोड़ रुपये का अनुबंध एक यूरोपीय कंपनी से मिला है। इस अनुबंध के तहत सभी ड्रोन कंपोनेंट्स और पूरा एयरक्राफ्ट भारत में बनाए जा रहे हैं, जिसे वैश्विक बाजार में आपूर्ति किया जाएगा।"
सिंदूर ऑपरेशन के बारे में उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के लिए उनके द्वारा ड्रोन के कंपोनेंट्स प्रदान किए गए थे, जिनकी सफलता के लिए भारतीय सेना की ओर से प्रशंसा पत्र प्राप्त हुए। आज हम २१ विभिन्न प्रकार के ड्रोन बना रहे हैं, जिनका उपयोग कृषि, सर्विलेंस, कॉम्बेट और कार्गो में किया जाता है।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                             
                             
                             
                            