क्या आप जानते हैं प्रतापगढ़ की रक्षक मां बेल्हा देवी के बारे में?

Click to start listening
क्या आप जानते हैं प्रतापगढ़ की रक्षक मां बेल्हा देवी के बारे में?

सारांश

प्रतापगढ़ की यात्रा का एक अनिवार्य हिस्सा है मां बेल्हा देवी के दर्शन। यह प्राचीन मंदिर भक्तों को शक्ति और शांति का संदेश देता है। जानिए इस धार्मिक स्थल का महत्व और इसकी अद्भुत परंपराओं के बारे में।

Key Takeaways

  • प्रतापगढ़ की रक्षक देवी मां बेल्हा का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है।
  • यह मंदिर सई नदी के तट पर स्थित है।
  • मंदिर का गर्भगृह और मूर्ति आकर्षक और पवित्र हैं।
  • यहां की पूजा विधि सदियों पुरानी है।
  • बेल्हा देवी का मंदिर लोगों को शांति और शक्ति का अनुभव देता है।

प्रतापगढ़, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ शहर की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक कोई बेल्हा देवी के दर्शन न कर ले। यह मंदिर देवी दुर्गा के स्थानीय स्वरूप मां बेल्हा भवानी को समर्पित एक प्रसिद्ध और प्राचीन धार्मिक स्थल है।

मां बेल्हा को प्रतापगढ़ की रक्षक देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। यह मंदिर सई नदी के तट पर स्थित है और यह स्थान कई सदियों से पूजा-अर्चना का केंद्र रहा है। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, खासकर नवरात्रि के दिनों में मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, बेल्हा देवी मंदिर वह स्थान है, जहां भगवान शिव और देवी शक्ति का निवास माना जाता है। इस कारण यह मंदिर शक्ति उपासना का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।

ऐतिहासिक रूप से माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण अवध राज्य के राजा प्रताप बहादुर सिंह ने सन 1811 से 1815 के बीच करवाया था। मंदिर को अवध राजाओं का संरक्षण प्राप्त था और तब से यह प्रतापगढ़ की धार्मिक पहचान का केंद्र बना हुआ है।

मंदिर का गर्भगृह अत्यंत पवित्र है, जहां मां बेल्हा देवी की पूजा पिंडी (पत्थर के रूप) के रूप में की जाती है। गर्भगृह के ऊपर देवी की सुंदर संगमरमर की मूर्ति स्थापित है, जिसे आकर्षक वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है।

मंदिर का शिल्प सरल और भव्य है। संगमरमर की देवी प्रतिमा एक छोटे से चांदी के गुंबद वाले मंदिर में विराजमान है, जो देखने में बहुत सुंदर लगता है। यहां पूजा की परंपरा आज भी वैसे ही निभाई जाती है जैसी सदियों पहले आरंभ हुई थी।

बेल्हा देवी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह प्रतापगढ़ की सांस्कृतिक पहचान भी है। मां बेल्हा की महिमा से यह मंदिर लोगों को भक्ति, शक्ति और शांति का संदेश देता है। जो भी यहां श्रद्धा से आता है, वह देवी की कृपा और आत्मिक शांति का अनुभव जरूर करता है।

Point of View

बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। यहां श्रद्धालुओं की संख्या यह दर्शाती है कि लोग अपनी आस्था को किस तरह मानते हैं। यह मंदिर स्थानीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और हर भक्त को यहां आकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।
NationPress
19/10/2025

Frequently Asked Questions

बेल्हा देवी का मंदिर कब बना?
यह मंदिर अवध राज्य के राजा प्रताप बहादुर सिंह द्वारा 1811 से 1815 के बीच बनवाया गया था।
मंदिर में किस देवी की पूजा होती है?
यह मंदिर देवी दुर्गा के स्थानीय स्वरूप मां बेल्हा भवानी को समर्पित है।
मंदिर का महत्व क्या है?
यह मंदिर शक्ति उपासना का एक प्रमुख केंद्र है और यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
नवरात्रि में मंदिर में क्या खास होता है?
नवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है, जो देवी के दर्शन करने आते हैं।
मंदिर की पूजा विधि क्या है?
मंदिर का गर्भगृह पवित्र है, जहां मां बेल्हा देवी की पूजा पिंडी के रूप में की जाती है।