क्या लामा-सीएमडी बीमारी के इलाज के लिए केंद्र सरकार को कदम उठाने चाहिए? : प्रवीण खंडेलवाल
                                सारांश
Key Takeaways
- लामा-सीएमडी बीमारी गंभीर और दुर्लभ है।
 - प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वैक्सीन निर्माण में सफलता।
 - सांसद खंडेलवाल ने विशेष नीति बनाने की मांग की है।
 - ह्यूमन ट्रायल की आवश्यकता है।
 - दुर्लभ बीमारियों के लिए नीति में बदलाव जरूरी है।
 
नई दिल्ली, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी लामा-सीएमडी के उपचार के लिए विशेष नीति बनाने की मांग की। उन्होंने बताया कि भारत ने कोरोना महामारी के संकट में भी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वैक्सीन विकसित कर दुनिया को समाधान प्रदान किया, इसलिए इस गंभीर बीमारी के इलाज में भी देश एक महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।
प्रवीण खंडेलवाल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जब कोविड-19 के दौरान भारत के पास कोई वैक्सीन नहीं थी, तब प्रधानमंत्री मोदी के दृढ़ संकल्प ने देश को वैक्सीन निर्माण में सक्षम बनाया। इसी आधार पर उन्होंने पीएम से अनुरोध किया है कि लामा-सीएमडी बीमारी के प्रकार के इलाज खोजने में हर संभव प्रयास किए जाएं।
उन्होंने कहा, "हमने देखा कि कोरोना काल में जब भारत के पास वैक्सीन नहीं थी, तब प्रधानमंत्री मोदी के साहस और दृढ़ता से भारत ने अपनी वैक्सीन तैयार की। उसी आधार पर मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि लामा-सीएमडी बीमारी का इलाज खोजने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। मुझे पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री इस मामले में जरूर हस्तक्षेप करेंगे।"
खंडेलवाल ने बताया कि यह बीमारी कितनी दुर्लभ और गंभीर है, इसका अहसास उन्हें तब हुआ जब उनके संसदीय क्षेत्र में एक 20 महीने की बच्ची इस बीमारी से पीड़ित मिली। उन्होंने कहा कि यह ऐसी बीमारी है, जिसका इस समय कोई इलाज उपलब्ध नहीं है।
उन्होंने कहा, "इसके लिए ह्यूमन ट्रायल की आवश्यकता है। हमारी रेयर डिजीज नीति में बदलाव होना चाहिए ताकि इस बीमारी से प्रभावित लोगों को इलाज का मार्ग मिल सके।"
लामा-2 सीएमडी, जिसे लैमिनिन-अल्फा 2 से संबंधित जन्मजात पेशी दुर्बलता भी कहा जाता है, एक आनुवंशिक विकार है, जो प्रगतिशील मांसपेशी कमजोरी और मांसपेशियों के क्षय का कारण बनता है। यह बीमारी लामा 2 जीन में उत्परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है।
फिलहाल, इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है और प्रबंधन केवल फिजियोथेरेपी, श्वसन सहायता और अन्य सहायक उपचारों के माध्यम से लक्षणों को नियंत्रित करने पर आधारित है।