क्या एसआईआर के जरिए लाखों लोगों के वोट काटे जा रहे हैं? प्रियंका चतुर्वेदी का दावा

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क्या एसआईआर के जरिए लाखों लोगों के वोट काटे जा रहे हैं? प्रियंका चतुर्वेदी का दावा

सारांश

शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बिहार में एसआईआर को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि भाजपा के निर्देश पर मतदाता सूची में हेरफेर हो रहा है। क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा है?

Key Takeaways

  • एसआईआर में मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप
  • भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव का मुद्दा
  • प्रवासी श्रमिकों की मताधिकार की रक्षा
  • सुप्रीम कोर्ट की सलाह का पालन न करना
  • लोकतंत्र पर खतरा

नई दिल्ली, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि मतदाता सूची में एकतरफा हेरफेर किया जा रहा है और यह प्रक्रिया भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निर्देशों पर चल रही है।

शुक्रवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने एसआईआर के तहत चुनाव आयोग द्वारा मांगे गए दस्तावेजों की जटिलता पर सवाल उठाया, जो उनके अनुसार आम लोगों, विशेषकर प्रवासी श्रमिकों के लिए उपलब्ध नहीं हैं।

उन्होंने बताया कि बिहार के लगभग 36 लाख प्रवासी श्रमिक अन्य राज्यों में काम कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के जरिए लाखों लोगों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। यदि श्रमिकों के वोट काट दिए जाएंगे, तो वे न तो बिहार में और न ही अपने कार्यस्थल के राज्यों में मतदान कर सकेंगे। यह मताधिकार का हनन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अन्यायपूर्ण है।

चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को आधार कार्ड, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जैसे अधिक सुलभ दस्तावेजों को स्वीकार करने की सलाह दी थी, लेकिन आयोग ने इसे नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर लगातार आवाज उठा रही है, कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है और वे हर स्तर पर इसका विरोध करेंगे।

प्रियंका चतुर्वेदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को मृत बताया था। सांसद ने इसे भारत पर व्यापार समझौते के लिए दबाव बनाने की रणनीति करार दिया। चतुर्वेदी ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताते हुए ट्रंप के 25 फीसदी टैरिफ के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण कहा। उन्होंने केंद्र सरकार से जवाबदेही मांगी और आर्थिक चुनौतियों जैसे जीएसटी, जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और लघु उद्योगों की समस्याओं का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर हम सवाल पूछते रहेंगे। ट्रंप के बयान से कॉमर्स मिनिस्ट्री को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कहा जा रहा था कि दोनों देशों के बीच ट्रेड डील होने वाली है। अचानक ट्रंप का बयान आना और टैरिफ लगाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। रूस के साथ भारत के संबंधों के चलते टैरिफ लगाना उचित नहीं है। कोई देश हमें इस बात के लिए बाध्य नहीं कर सकता कि हमें किस देश के साथ संबंध रखना है।

महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे का खेल मंत्रालय में तबादला किए जाने पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, 'यह कोई कार्रवाई नहीं है। यह ऐसा है जैसे आप किसी को बता रहे हैं कि वे इतने महत्वपूर्ण हैं कि वे किसानों के बारे में कुछ भी कह सकते हैं, विधानसभा में बैठकर रमी खेल सकते हैं और फिर भी हम उन्हें नहीं हटाएंगे। उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए था। अगर आप देश के लोगों, खासकर महाराष्ट्र के लोगों को संदेश देना चाहते हैं, तो इस तरह के व्यवहार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सिर्फ विभाग को बदलना लोगों के साथ सीधे तौर पर खिलवाड़ है। इनके कई मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती।

Point of View

बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है। अगर चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदमों में पारदर्शिता नहीं है, तो यह न केवल एक राज्य की समस्या है, बल्कि यह पूरे देश के नागरिकों की राजनीतिक भागीदारी को प्रभावित कर सकता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

प्रियंका चतुर्वेदी ने किस मुद्दे पर आरोप लगाए?
प्रियंका चतुर्वेदी ने बिहार में एसआईआर के जरिए मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगाया है।
एसआईआर का मतलब क्या है?
एसआईआर का मतलब विशेष गहन पुनरीक्षण है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना है।
प्रियंका चतुर्वेदी ने किस पार्टी का प्रतिनिधित्व किया?
प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना (यूबीटी) की सांसद हैं।
क्या एसआईआर प्रक्रिया में प्रवासी श्रमिकों के वोट काटे जा रहे हैं?
हाँ, प्रियंका चतुर्वेदी के अनुसार, इस प्रक्रिया के तहत लाखों प्रवासी श्रमिकों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
क्या सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को सलाह दी थी?
हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को आधार कार्ड और अन्य सुलभ दस्तावेजों को स्वीकार करने की सलाह दी थी।