क्या जम्मू-कश्मीर के पुंछ में दुर्घटनावश गोली चलने से सैनिक की मौत हुई?
सारांश
Key Takeaways
- जम्मू-कश्मीर में सैनिकों की सुरक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है।
- दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उचित प्रशिक्षण जरूरी है।
- पुलिस और सुरक्षा बलों के बीच समन्वय महत्वपूर्ण है।
- आतंकवाद-रोधी अभियानों में सतर्कता बनाए रखना चाहिए।
- सुरक्षा बलों को ड्रग और हवाला नेटवर्क पर नजर रखनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में सोमवार को एक सैनिक अमरजीत सिंह की मृत्यु हो गई जब उनकी सर्विस राइफल दुर्घटनावश चल गई।
अधिकारियों के मुताबिक, नायक अमरजीत सिंह झुलास गांव में अपने सैन्य शिविर में संतरी की ड्यूटी पर तैनात थे, तभी उनकी सर्विस राइफल से अचानक गोली चल गई। गोली लगने से वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
उन्हें तुरंत सेना के फील्ड अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने इस घटना का संज्ञान लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
जम्मू-कश्मीर में लगभग 740 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा (एलओसी) की सुरक्षा सेना संभालती है। यह सीमा बारामूला, कुपवाड़ा, बांदीपोरा, पुंछ, राजौरी और आंशिक रूप से जम्मू जिले तक फैली हुई है।
वहीं, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में 240 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा करता है।
सेना एलओसी पर घुसपैठ-रोधी और आतंकवाद-रोधी अभियानों में लगी रहती है, जबकि बीएसएफ अंतरराष्ट्रीय सीमा की निगरानी करती है।
अंदरूनी इलाकों में जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षा बल आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देते हैं, जिनमें आतंकियों, उनके ओवरग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) और समर्थकों पर कार्रवाई शामिल है। इसके साथ ही ड्रग और हवाला नेटवर्क से जुड़े तत्वों पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
ड्रग तस्कर, हवाला व अन्य वित्तीय घोटालों में शामिल लोग सुरक्षा बलों की जांच के घेरे में हैं। ऐसा माना जाता है कि इस काली कमाई का इस्तेमाल अंततः जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए किया जाता है।
सुरक्षा बलों ने अब आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के बजाय जम्मू-कश्मीर में पूरे आतंकी तंत्र को ध्वस्त करने की योजना बनाई है इसी कड़ी में आतंकियों से जुड़े सरकारी कर्मचारियों की सेवाओं को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा समाप्त कर चुके हैं।