क्या पुणे-अहिल्या नगर में तेंदुए के हमलों से कई लोगों की जान गई? सीएम फडणवीस बोले- रेस्क्यू सेंटर भेजने की योजना
सारांश
Key Takeaways
- पुणे और अहिल्या नगर में तेंदुओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है।
- राज्य सरकार ने तेंदुओं को रेस्क्यू सेंटर भेजने की योजना बनाई है।
- तेंदुओं की नसबंदी से उनकी संख्या नियंत्रित करने का प्रयास किया जाएगा।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए ठोस उपाय किए जाएंगे।
- ग्रामीण क्षेत्रों में तेंदुओं की आवाजाही से लोगों में भय का माहौल है।
मुंबई, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में बढ़ते इंसान-तेंदुआ संघर्ष पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पुणे और अहिल्या नगर क्षेत्रों में इस समय लगभग 1,300 तेंदुए मौजूद हैं। हाल के दिनों में इन क्षेत्रों में तेंदुओं के हमलों से कई लोगों की जानें जा चुकी हैं।
सीएम फडणवीस ने कहा कि सरकार इस गंभीर समस्या पर ठोस कदम उठाने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने बताया कि सरकार और वन विभाग के बीच हुई विस्तृत चर्चा के बाद यह तय किया गया है कि जहां तेंदुए अत्यधिक खतरनाक या आक्रामक हो जाते हैं, वहां उन्हें मारने का निर्णय भी लिया जा सकता है।
सीएम ने कहा, "कुछ मामलों में जब नर तेंदुआ लगातार हमला करता है या मानव जीवन के लिए खतरा बन जाता है तो मजबूरन ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं, लेकिन हमारा उद्देश्य किसी जानवर को नुकसान पहुंचाना नहीं है, बल्कि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।"
फडणवीस ने यह भी बताया कि सरकार का मुख्य ध्यान तेंदुओं को बचाने और पुनर्वास पर रहेगा। इसके लिए बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने की योजना बनाई जा रही है।
उन्होंने कहा, "हमारा प्लान है कि जितने भी तेंदुए आबादी वाले इलाकों में घूम रहे हैं, उन्हें पकड़कर रेस्क्यू सेंटर में स्थानांतरित किया जाए।"
सीएम ने आगे बताया कि इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए सरकार तेंदुओं की नसबंदी (स्टरलाइजेशन) कराने की योजना भी बना रही है ताकि उनकी संख्या अनियंत्रित रूप से न बढ़े।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिछले कुछ महीनों में ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में तेंदुओं की बढ़ती आवाजाही ने लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। कई गांवों में शाम होते ही लोग घरों से निकलना बंद कर देते हैं।
राज्य सरकार ने वन विभाग को निर्देश दिया है कि वे मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए ठोस योजना बनाएं, जिसमें सुरक्षित बाड़, रेस्क्यू टीमों की तैनाती, जागरूकता अभियान और निगरानी ड्रोन सिस्टम शामिल होंगे।