क्या राहुल गांधी को बालक की तरह रोना बंद करना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी को चुनाव आयोग पर आरोप लगाने से पहले आत्ममंथन करना चाहिए।
- राम कदम ने राहुल के बयानों को गैर जरूरी बताया।
- प्रधानमंत्री मोदी का ओबीसी से संबंध और उनकी सरकार का मूल मंत्र।
- उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है।
- राजनीतिक बयानबाजी में सच्चाई का अभाव।
मुंबई, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राहुल गांधी ने भारत निर्वाचन आयोग पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाया है, वहीं बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार का संकेत दिया। विपक्ष के इस दृष्टिकोण को महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेता राम कदम ने अनावश्यक बताया है। उन्होंने राहुल गांधी के हालिया बयानों को ‘रोना-धोना’ और बिहार विधानसभा चुनाव में संभावित हार को लेकर की गई 'बहानेबाजी' करार दिया है।
शनिवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान राम कदम ने कहा, "राहुल गांधी का यह पैटर्न पुराना है। जब कांग्रेस तेलंगाना, कर्नाटक या राजस्थान जैसे राज्यों में जीतती है, तब उन्हें चुनाव प्रक्रिया से कोई शिकायत नहीं होती, लेकिन हार का सामना करते ही वे चुनाव आयोग पर सवाल उठाने लगते हैं। राहुल गांधी को बालक की तरह रोना बंद करना चाहिए और हार के कारणों पर आत्ममंथन करना चाहिए।"
कदम ने राहुल गांधी पर यह आरोप भी लगाया कि वे और उनकी पार्टी हमेशा पाकिस्तान को खुश करने के लिए बयान देते रहे हैं। विदेशों में जाकर राहुल गांधी ने देश की छवि को खराब किया है।
राहुल गांधी के ओबीसी समाज को लेकर किए जा रहे दावों को भी भाजपा नेता ने गलत बताया। कदम ने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं ओबीसी समाज से आते हैं और उनकी सरकार का मूल मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास’ है, जो सभी समुदायों के लिए समावेशी विकास पर जोर देती है।
राम कदम ने उद्धव ठाकरे को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, "शिवसेना (यूबीटी) और उद्धव ठाकरे को टारगेट करते हुए कहा कि उन्हें हिंदुत्व पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है क्योंकि वे कांग्रेस और शरद पवार के साथ गठबंधन में हैं, जिनका बालासाहेब ठाकरे ने जीवन भर विरोध किया। अब, उनकी गोद में बैठे उद्धव ठाकरे और उनका अखबार सामना हिंदुत्व और आरएसएस के बारे में लिखना और बोलना चाहते हैं। आपको ऐसा करने का क्या नैतिक अधिकार है?"
त्यागपूर्ण समर्पण जीवन देश सेवा के लिए दिया जाता है। लेकिन, ढाई साल के कार्यकाल में इनकी सरकार ने खिचड़ी से लेकर दवाइयों पर पैसा खाया है। ऐसी सरकार हिंदुत्व और संघ की विचारधारा क्या समझेगी?