क्या 'राजा साहब' वीरभद्र सिंह ने आधुनिक हिमाचल का निर्माण किया?

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क्या 'राजा साहब' वीरभद्र सिंह ने आधुनिक हिमाचल का निर्माण किया?

सारांश

वीरभद्र सिंह, हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध 'राजा साहब', जिन्होंने अपनी जनसेवा और नेतृत्व के द्वारा प्रदेश को नई दिशा दी। उनका योगदान न केवल राजनीति में, बल्कि संस्कृति में भी अद्वितीय था। क्या उनकी विरासत आज भी जीवित है?

Key Takeaways

  • राजा वीरभद्र सिंह का योगदान हिमाचल की राजनीति में अद्वितीय रहा।
  • उन्होंने जनसेवा और विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए।
  • उनकी निष्ठा और समर्पण प्रेरणा देने वाला है।
  • राजनीति में व्यक्तिगत मतभेदों को स्थान न देना महत्वपूर्ण है।
  • नवीन पीढ़ी को सिखाने का कार्य उनकी विरासत है।

नई दिल्ली, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एक ऐसा व्यक्ति जो केवल एक प्रदेश का विधायक, सांसद या मुख्यमंत्री नहीं था, बल्कि हिमाचल प्रदेश की आत्मा के रूप में जाने जाते थे। जनसेवा उनकी धड़कनों में बसी थी। शिमला की वादियों में 8 जुलाई 2021 की सुबह एक अजीब-सा खालीपन अनुभव किया गया, मानो पहाड़ों ने अपना सबसे ऊंचा शिखर खो दिया हो। यह दिन केवल एक राजनेता के जाने का नहीं था, बल्कि हिमाचल की राजनीति, संस्कृति और जनभावनाओं के एक युग के अंत का प्रतीक था।

वीरभद्र सिंह, जिन्हें सम्मानपूर्वक 'राजा साहब' कहा जाता है, इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। वह हिमाचल प्रदेश के इतिहास का एक ऐसा अध्याय हैं, जिससे हर पीढ़ी ने कुछ न कुछ सीखा है और भविष्य की पीढ़ियां भी सीखती रहेंगी। छह बार के मुख्यमंत्री, नौ बार के विधायक, पांच बार सांसद और जनता की नब्ज़ समझने वाले राजा वीरभद्र सिंह ने केवल कुर्सियों पर नहीं, बल्कि लोगों के दिलों पर राज किया।

कुछ लोग सत्ता में आते हैं, जबकि कुछ लोग इतिहास रचते हैं। वीरभद्र सिंह ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने सत्ता में रहते हुए इतिहास बनाया। रामपुर बुशहर राजघराने में 23 जून 1934 को जन्मे वीरभद्र सिंह में जन्म से ही शाही ठाठ था, लेकिन उनका जीवन का उद्देश्य केवल विरासत को संभालना नहीं, बल्कि सेवा करना था। बिशप कॉटन स्कूल शिमला और सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली में शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने 1962 में राजनीति में कदम रखा और महासू लोकसभा सीट से सांसद बने। यह वह समय था जब देश की कांग्रेस पार्टी अपनी जड़ों को मजबूत कर रही थी। उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू को अपना राजनीतिक गुरु मानते हुए कहा कि नेहरू जी ने उन्हें राजनीति में लाने में मदद की।

'राजा साहब' हिमाचल प्रदेश के इतिहास में एक महान नेता के रूप में पहचानते जाते हैं, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री का पद संभाला और आधुनिक हिमाचल के निर्माता के रूप में अपनी छाप छोड़ी। वह पहली बार 8 अप्रैल 1983 से 5 मार्च 1990 तक मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 3 दिसंबर 1993 से 23 मार्च 1998, 6 मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007, और 25 दिसंबर 2012 से 26 दिसंबर 2017 तक इस पद पर रहे। 21 वर्षों के कार्यकाल में, वीरभद्र सिंह ने राज्य को आधुनिकता की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में सड़कों का विस्तार, स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया गया।

कांग्रेस पार्टी के प्रति उनका निष्ठा और समर्पण अद्वितीय था। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में संगठन को मजबूती प्रदान की और नेता विपक्ष के रूप में अपनी गरिमा को बनाए रखा। दिल्ली की सत्ता हो या शिमला की विधानसभा, वीरभद्र सिंह हर मंच पर प्रभावशाली नजर आए। वह पांच बार लोकसभा सांसद बने और केंद्र सरकार में पर्यटन, नागरिक उड्डयन, इस्पात, और लघु एवं मध्यम उद्योग जैसे विभागों में मंत्री रहे।

वीरभद्र सिंह का जीवन अनुशासित रहा। उन्होंने दो शादियां कीं। उनकी पहली पत्नी जुब्बल की राजकुमारी रतन कुमारी थीं, जिनका निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने प्रतिभा सिंह से विवाह किया, जो आज भी सक्रिय राजनीति में हैं। उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है।

राजा वीरभद्र सिंह न केवल कांग्रेस समर्थकों के लिए, बल्कि विपक्षी नेताओं के लिए भी सम्मान के पात्र थे। उनका व्यवहार, भाषण और कार्यों में प्रतिबद्धता थी। राजनीति में वैचारिक मतभेदों के बावजूद उन्होंने व्यक्तिगत कटुता को कभी स्थान नहीं दिया। वे एक विकास पुरुष, राजनीतिक संतुलनकारी, और हिमाचल की आत्मा थे। उनका राजनीतिक जीवन नई पीढ़ी के नेताओं को यह सिखाता है कि लंबी पारी केवल रणनीति से नहीं, बल्कि जनसेवा से खेली जाती है।

Point of View

NationPress
19/09/2025

Frequently Asked Questions

वीरभद्र सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ?
वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को रामपुर बुशहर राजघराने में हुआ था।
उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कितने कार्यकाल पूरे किए?
उन्होंने छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
वीरभद्र सिंह कौन से स्कूल से पढ़े?
उन्होंने बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से शिक्षा प्राप्त की।
क्या वीरभद्र सिंह का परिवार राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय है?
हाँ, उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह राजनीति में सक्रिय हैं।
वीरभद्र सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या थी?
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि हिमाचल प्रदेश की आधुनिकता और विकास के लिए उनके योगदान को माना जाता है।