क्या राहुल गांधी के पास ठोस सबूत हैं जिन्हें सार्वजनिक करना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी को अपने सबूत सार्वजनिक करने चाहिए।
- राम कदम ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न उठाए।
- कांग्रेस पर साजिश करने के आरोप।
- महाराष्ट्र में कानून का राज है।
- मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विभागों का पुनर्वितरण किया।
मुंबई, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेता राम कदम ने राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यदि उनके पास ठोस सबूत हैं, तो उन्हें इसे सार्वजनिक करना चाहिए।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान, भाजपा नेता ने कहा कि राहुल गांधी लंबे समय से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए पूछा कि यदि राहुल गांधी के पास सच में कोई 'एटम बम' जैसा ठोस सबूत है, तो वे उसे छुपा क्यों रहे हैं। एटम बम को घर में नहीं रखा जाता।
कदम ने सुझाव दिया कि यदि राहुल गांधी को चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है, तो उन्हें अपने सबूत न्यायपालिका के समक्ष प्रस्तुत करने चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने पहले महाराष्ट्र सहित अन्य चुनावों में राहुल के आरोपों का प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विस्तृत उत्तर दिया है। फिर भी, राहुल गांधी आरोप लगाते जा रहे हैं। यदि राहुल गांधी अभी भी विस्फोटक सबूत होने का दावा कर रहे हैं, तो उन्हें इसे सार्वजनिक करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार चुनाव में संभावित हार का बहाना बनाने के लिए राहुल गांधी इसे छिपाए रखना चाहते हैं।
मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर उन्होंने कहा कि सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता। कांग्रेस ने सनातन हिंदू धर्म और भगवा को आतंकवाद से जोड़कर बदनाम करने की साजिश की है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने एटीएस अधिकारियों और गवाहों पर दबाव डालकर असली दोषियों को छोड़ने और निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की। एटीएस के पूर्व अधिकारी ने यह खुलासा किया था कि उन पर मोहन भागवत को बदनाम करने का दबाव था। कांग्रेस ने यह घिनौना अपराध किया है, जिसके लिए राहुल गांधी और कांग्रेस को माफी नहीं मिलेगी।
मालेगांव मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फंसाने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि जो लोग हिंदू धर्म और उसके संगठनों के लिए काम कर रहे हैं, चाहे वे योगी आदित्यनाथ हों, आरएसएस के सरसंघचालक हों या अन्य हिंदू नेता, सभी को जानबूझकर निशाना बनाया गया। यह कांग्रेस द्वारा उन्हें झूठे मामले में फंसाने की साजिश थी। कांग्रेस ऐसा इसलिए कर रही थी क्योंकि उसे एक समुदाय को खुश करना था।
पुणे पत्थरबाजी घटना पर उन्होंने कहा कि दो गुटों के बीच झड़प हुई, लेकिन पुलिस ने जल्दी ही इसे नियंत्रित कर लिया। किसी को भी कानून को अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। महाराष्ट्र में विपक्ष मानसिक संतुलन खो चुका है। जिस तरह से बयानबाजी की जा रही है, वह उचित नहीं है। यहां पर कानून का राज है।
महाराष्ट्र सरकार में विभागों के बंटवारे पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किसानों के सम्मान के लिए विभागों का पुनर्वितरण किया है।