क्या रमेश सिप्पी ने बताया कि 'शोले' में जया बच्चन को कम डायलॉग क्यों दिए गए?

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क्या रमेश सिप्पी ने बताया कि 'शोले' में जया बच्चन को कम डायलॉग क्यों दिए गए?

सारांश

1975 में रिलीज हुई 'शोले' ने 50 वर्षों में जो पहचान बनाई है, वह अद्वितीय है। इस फिल्म में जया बच्चन के कम संवादों के पीछे का राज जानें। रमेश सिप्पी ने इस पर खुलकर बात की है।

Key Takeaways

  • शोले ने 50 साल पूरे किए हैं।
  • जया बच्चन का किरदार प्रभावशाली था।
  • फिल्म की कहानी बदले की भावना पर आधारित है।
  • शूटिंग कर्नाटक में हुई थी।
  • फिल्म ने धीरे-धीरे दर्शकों का प्यार जीता।

मुंबई, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। 1975 में स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज हुई रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' ने अपने 50 साल पूरे कर लिए हैं। यह फिल्म केवल एक फिल्म नहीं रह गई है, बल्कि दर्शकों के बीच एक विशेष पहचान बना चुकी है।

प्रसिद्ध लेखक जोड़ी सलीम-जावेद द्वारा लिखी गई शोले आज भी हिंदी सिनेमा का एक अनमोल रत्न मानी जाती है। इस फिल्म में जया बच्चन ने राधा का किरदार निभाया था, लेकिन उनके संवाद सीमित थे। रमेश सिप्पी ने इस बात का खुलासा किया कि ऐसा क्यों हुआ।

राष्ट्र प्रेस के साथ विशेष बातचीत के दौरान जब रमेश सिप्पी से पूछा गया कि क्या जया बच्चन के कम संवादों से महिला किरदार को कमतर आंका गया है, तो उन्होंने कहा, "बिल्कुल नहीं।"

रमेश सिप्पी ने आगे कहा, "जया जी ने विधवा के किरदार को बखूबी निभाया, और उनकी अदाकारी इतनी शानदार थी कि वह अपनी आँखों से ही भावनाएँ व्यक्त करने में सक्षम थीं। अमित जी (अमिताभ बच्चन) के साथ भी ऐसा ही था।"

उन्होंने बताया कि शोले की कहानी संजीव कुमार के बदले के इर्द-गिर्द घूमती है, जो गब्बर द्वारा उनके परिवार की हत्या के बाद आती है। इसलिए जया बच्चन का कम संवाद होना कहानी के अनुरूप था।

'शोले' में धर्मेंद्र (वीरू) और अमिताभ बच्चन (जय) दो छोटे अपराधियों का किरदार निभाते हैं, जिन्हें एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी (संजीव कुमार) गब्बर सिंह नामक डाकू को पकड़ने के लिए लाते हैं। फिल्म की शूटिंग कर्नाटक के रामनगरम की पहाड़ियों और पथरीली जगहों पर की गई थी।

शूटिंग अक्टूबर 1973 में शुरू हुई और इसे पूरा होने में ढाई साल लगे। शुरुआत में फिल्म को आलोचकों से अच्छे रिव्यू नहीं मिले थे, लेकिन बाद में दर्शकों की प्रशंसा ने इसे सुपरहिट बना दिया।

राष्ट्र प्रेस

जेपी/जीकेटी

Point of View

'शोले' ने न केवल सिनेमा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर स्थापित किया है, बल्कि यह दर्शकों के दिलों में एक अद्वितीय स्थान रखती है। फिल्म के निर्माण और कहानी के तत्वों की गहराई पर ध्यान देने से यह स्पष्ट होता है कि हर किरदार का महत्व है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'शोले' में जया बच्चन के कम डायलॉग होने का मतलब है कि महिला किरदार को कमतर आंका गया?
नहीं, रमेश सिप्पी ने स्पष्ट किया कि जया बच्चन की अदाकारी इतनी शानदार थी कि कम संवादों के बावजूद उनका किरदार प्रभावशाली था।
फिल्म 'शोले' की कहानी किस पर आधारित है?
फिल्म की कहानी बदले की भावना के इर्द-गिर्द घूमती है, जो गब्बर द्वारा परिवार की हत्या के बाद उभरती है।
'शोले' की शूटिंग कहाँ हुई थी?
'शोले' की शूटिंग कर्नाटक के रामनगरम में हुई थी।