क्या ढाबों-होटलों के मेनू कार्ड में खाद्य पदार्थों की मात्रा का जिक्र होना चाहिए?

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क्या ढाबों-होटलों के मेनू कार्ड में खाद्य पदार्थों की मात्रा का जिक्र होना चाहिए?

सारांश

गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन ने संसद में खाद्य पदार्थों की मात्रा का सवाल उठाया है। उनका मानना है कि ढाबों और होटलों में खाद्य पदार्थों की मात्रा को मेनू कार्ड में स्पष्ट रूप से दर्शाना आवश्यक है। इससे ग्राहक सही मात्रा का आर्डर कर सकेंगे और बर्बादी कम होगी।

Key Takeaways

  • खाद्य पदार्थों की मात्रा का मानकीकरण आवश्यक है।
  • ग्राहकों को सही जानकारी देने से बर्बादी कम होगी।
  • मेनू कार्ड में मात्रा का उल्लेख होना चाहिए।
  • सरकारी नियमों की आवश्यकता है।
  • ग्राहकों के हित में बदलाव आवश्यक हैं।

नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संसद का मानसून सत्र चल रहा है। गोरखपुर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद और भोजपुरी स्टार रवि किशन शुक्ला ने खाद्य पदार्थों की मात्रा से संबंधित मुद्दा उठाया।

रवि किशन ने लोकसभा में कहा कि शून्य काल में मुझे लोक महत्व के इस मुद्दे को उठाने की अनुमति देने के लिए आपका दिल से आभार। हमारा भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। यहां छोटे कस्बों से लेकर बड़े महानगरों तक लाखों ढाबे और होटल हैं, जहां करोड़ों लोग प्रतिदिन भोजन करते हैं। इन ढाबों और होटलों में खाद्य पदार्थों के मूल्य स्थान और स्तर के अनुसार ग्राहकों से लिए जाते हैं। आज का मेरा विषय खाद्य पदार्थों की मात्रा से संबंधित है।

उन्होंने कहा कि किसी भी ढाबे या होटल में किस वस्तु की कितनी मात्रा होगी, इसका मानकीकरण नहीं किया गया है। इतना बड़ा बाजार, जिसमें करोड़ों ग्राहक हैं, बिना किसी नियम और विनियम के चल रहा है। हमारे प्रधानमंत्री ने पिछले 11 वर्षों में देश के विभिन्न क्षेत्रों में कई युगांतकारी परिवर्तन किए हैं, लेकिन यह क्षेत्र अभी तक अछूता है। छोटे ढाबों से लेकर सामान्य होटल और अच्छे रेस्टोरेंट तक, सभी स्थानों पर खाद्य पदार्थों के मूल्य, गुणवत्ता और मात्रा को निर्धारित करने के लिए कानून बनाना आवश्यक है, ताकि देशवासियों को उचित मूल्य पर सही मात्रा में गुणवत्ता युक्त खाद्य पदार्थ मिल सकें।

उन्होंने उदाहरण दिया कि किसी छोटे ढाबे में तड़का दाल की कीमत 100 से 120 रुपए हो सकती है, जबकि किसी अच्छे ढाबे में वही दाल 250 से 400 रुपए और किसी अच्छे होटल में 1,000 से 1,200 रुपए हो सकती है। जब ग्राहक इन ढाबों या होटलों में भोजन करने जाते हैं, तो उन्हें मेनू कार्ड के माध्यम से कीमतों की जानकारी दी जाती है, लेकिन इस बात की जानकारी नहीं दी जाती है कि एक प्लेट दाल या सब्जी या चावल की मात्रा कितनी होगी। इसलिए ग्राहक यह नहीं जान पाते कि अगर चार लोग साथ में भोजन कर रहे हैं तो उन्हें कितना ऑर्डर करना चाहिए। कई बार ग्राहक सोचते हैं कि ज्यादा मात्रा होगी तो कम निकलती है और कभी-कभी सोचते हैं कि कम मात्रा होगी तो ज्यादा निकलती है। इस प्रकार, खाद्य पदार्थ का बर्बादी होती है।

भोजपुरी अभिनेता ने कहा कि मेरा आपसे यह अनुरोध है कि खाद्य पदार्थों की कीमत के साथ-साथ मेनू कार्ड में खाद्य पदार्थों की मात्रा का विवरण देना आवश्यक किया जाए, ताकि ग्राहकों को स्पष्ट पता हो कि वे कितनी मात्रा के सामान के लिए कितना भुगतान कर रहे हैं। कई बार किसी होटल में छोटी सी बाल्टी में खाना सर्व किया जाता है। देखने में तो लगेगा कि इसमें आधा लीटर दाल होगी, लेकिन बाल्टी की बनावट ऐसी होती है कि उसमें केवल 250 मिलीलीटर दाल निकलती है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह किसी बिस्किट, ब्रेड या दूध के पैकेट में उसकी मात्रा लिखी होती है, उसी प्रकार खाद्य पदार्थों में, जैसे दाल, सब्जी, पनीर आदि की मात्रा स्पष्ट रूप से लिखना आवश्यक है। यदि संभव हो तो कुकिंग मीडियम, जैसे सरसों का तेल, रिफाइंड तेल, मूंगफली का तेल या देसी घी आदि की जानकारी भी दी जाए, तो यह ग्राहकों के हित में उठाया गया एक सराहनीय कदम होगा।

Point of View

यह स्पष्ट है कि खाद्य पदार्थों की मात्रा का मानकीकरण आवश्यक है। विशेषकर भारत जैसे विशाल देश में जहां हर दिन लाखों लोग भोजन करते हैं। ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए नियमों का निर्माण करना और उन्हें लागू करना आवश्यक है।
NationPress
31/07/2025

Frequently Asked Questions

क्या मेनू कार्ड में मात्रा का विवरण होना चाहिए?
हाँ, इसे होना चाहिए ताकि ग्राहक सही मात्रा का ऑर्डर कर सकें।
क्या इससे खाद्य पदार्थों की बर्बादी कम होगी?
जी हाँ, सही मात्रा के जानकारी से ग्राहक अधिक स्पष्टता से निर्णय ले सकेंगे।