क्या रोहिणी का लालू परिवार से अलग होना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है?

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क्या रोहिणी का लालू परिवार से अलग होना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है?

सारांश

रोहिणी आचार्य के परिवार से अलग होने के फैसले ने राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी है। क्या यह निर्णय सही है? भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना का कहना है कि यह महिलाओं के अपमान का एक उदाहरण है और भाजपा परिवारवाद से ऊपर है। जानिए इस मामले की गहराई।

Key Takeaways

  • रोहिणी आचार्य का परिवार से अलग होना राजनीतिक हलचल का कारण बना है।
  • गुलाम अली खटाना ने महिलाओं के अपमान की निंदा की है।
  • भाजपा परिवारवाद से ऊपर उठने का दावा करती है।

नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य का राजनीति से अलविदा लेना और परिवार से दूरी बनाने के निर्णय ने राजनीतिक हलचल को तेज कर दिया है। इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद गुलाम अली खटाना ने इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना कहा है और महिलाओं के अपमान को निंदनीय करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा परिवारवाद से ऊपर उठकर कार्य करती है।

रोहिणी ने अपने परिवार में चल रहे विवादों पर सार्वजनिक रूप से गहरी चिंता व्यक्त की थी।

गुलाम अली खटाना ने कहा कि महिलाओं का अपमान एक गंभीर मुद्दा है। बहनें पुरुषों की तुलना में दोगुना मेहनत करती हैं। राजनीतिक दलों में पारिवारिक दखलंदाजी होने के कारण कई वर्गों को अवसर नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी में इस तरह के परिवारवाद के लिए कोई स्थान नहीं है।

वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री संजय निषाद ने रोहिणी आचार्य के मामले पर कहा कि यदि कोई परिवार को संभाल नहीं सकता, तो वह राज्य का क्या भला संभालेगा? सलाहकार का कार्य सलाह देना है, न कि मालिक बनना। इससे पार्टी की एकता खतरे में पड़ जाती है।

गौरतलब है कि रोहिणी आचार्य ने अपने परिवार पर अपमान और गाली-गलौज का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करके कहा कि उन्हें 'गालियां' दी गईं, उन्हें मारने के लिए चप्पल उठाई गई और अंततः उन्हें घर से निकाल दिया गया।

इससे पहले उन्होंने 'एक्स' पर यह भी लिखा था कि वह राजनीति छोड़ रही हैं और अपने परिवार से संबंध तोड़ रही हैं। उनका यह कदम तेजस्वी यादव के करीबी सहयोगियों संजय यादव और रमीज के कहने पर उठाया गया है।

Point of View

हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि राजनीतिक परिवारवाद का मुद्दा केवल एक पार्टी का नहीं, बल्कि सभी दलों का है। हमें समाज में महिलाओं के स्थान को मजबूती से स्थापित करने की आवश्यकता है। यह समय है एक नई सोच की, जहाँ परिवारवाद को राजनीति से बाहर किया जाए।
NationPress
17/11/2025

Frequently Asked Questions

रोहिणी आचार्य ने राजनीति क्यों छोड़ी?
रोहिणी आचार्य ने परिवार में चल रहे विवादों और अपमान के कारण राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया।
गुलाम अली खटाना ने क्या कहा?
गुलाम अली खटाना ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और महिलाओं के अपमान को निंदनीय करार दिया।
भाजपा परिवारवाद पर क्या stance रखती है?
भाजपा का कहना है कि वह परिवारवाद से ऊपर उठकर कार्य करती है।
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