क्या शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने कैंटीन कर्मचारी को पीटा?

सारांश
Key Takeaways
- खाना की गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है।
- सामाजिक मुद्दों पर विधायकों की जिम्मेदारी बढ़ती है।
- संवेदनशीलता के साथ प्रतिक्रिया देना चाहिए।
- खराब खाने पर प्रतिक्रिया करना सही है, लेकिन हिंसा नहीं।
- सार्वजनिक स्थानों पर व्यवहार की गरिमा बनाए रखना चाहिए।
मुंबई, 9 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वे मुंबई में एक कैंटीन कर्मचारी को थप्पड़ मारते हुए नजर आ रहे हैं। इस घटना को लेकर संजय गायकवाड़ ने सफाई दी है।
उन्होंने कहा, "मैंने आकाशवाणी कैंटीन से खाना मंगवाया था और मुझे चावल, दाल और करी दी गई। पहले निवाले में ही मुझे लगा कि खाने में कुछ गड़बड़ है। दूसरे निवाले पर मुझे उल्टी आ गई। कैंटीन का खाना पूरी तरह से सड़ा हुआ था और दाल भी खराब हो गई थी। मैंने पहले भी कैंटीन मालिक को समझाया था कि उन्हें अच्छा खाना देना चाहिए, लेकिन वहां लोगों की जान से खिलवाड़ हो रहा है।"
विधायक ने आगे कहा कि खाना की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि यह सीधे तौर पर सेहत के साथ गंभीर खिलवाड़ कर रहा था। उन्होंने कहा, "मैं एक किसान परिवार से आता हूं और मुझे पता है कि सब्जी कितनी पुरानी है। रात के खाने में जो चीजें थीं, वे तीन-चार दिन पुरानी थीं। मैंने तुरंत मैनेजर को बुलाया और वहां मौजूद सभी लोगों को खाना दिखाया, जिसमें से बदबू आ रही थी। सभी ने कहा कि यह खाना खाने लायक नहीं है। इसलिए मैंने तुरंत प्रतिक्रिया दी।"
कर्मचारी को पीटने के सवाल पर संजय गायकवाड़ ने कहा कि इतना खराब खाना देना खाने वाले की सेहत के साथ खेलने के समान है। उन्होंने कहा, "मुझे उस व्यक्ति का नाम या धर्म नहीं पता, लेकिन मुझे यह समझ में आया कि वह मेरी जान से खेल रहा था, इसलिए मैंने तुरंत प्रतिक्रिया दी।"
उन्होंने विपक्ष पर भी पलटवार किया और कहा, "शिवसेना (यूबीटी) को बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उनके एक सांसद ने 10 साल पहले एक कर्मचारी के मुंह में रोटी ठूसकर मारा था। मैंने अनाज का अपमान नहीं किया है, लेकिन जो गलत है, उसे मैं गलत ही कहूंगा। अगर कोई मुझे ट्रोल करता है तो मुझे कोई परवाह नहीं है।"