क्या सरकार ने आयकर विधेयक 2025 को लोकसभा से वापस लिया? नया वर्जन सोमवार को होगा पेश

सारांश
Key Takeaways
- आयकर विधेयक 2025 को वापस लिया गया है।
- नया वर्जन सोमवार को पेश किया जाएगा।
- सरकार का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना है।
- छोटे व्यवसायों और व्यक्तिगत करदाताओं को लाभ मिलेगा।
- नए उपायों से करदाताओं पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करने हेतु 13 फरवरी को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया आयकर विधेयक 2025, औपचारिक रूप से वापस ले लिया गया है। इसकी जगह सोमवार को एक नया वर्जन प्रस्तुत किया जाएगा। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से शुक्रवार को प्राप्त हुई है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा सांसद बैजयंत जय पांडा की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमेटी द्वारा किए गए अधिकांश सुझावों को शामिल करते हुए, आयकर विधेयक का एक नया वर्जन सोमवार को संसद में पेश किया जाएगा।
विधेयक के विभिन्न वर्जनों से उत्पन्न होने वाले भ्रम को समाप्त करने और सभी परिवर्तनों को समाहित करते हुए एक स्पष्ट और अद्यतन वर्जन प्रस्तुत किया जाएगा।
विधेयक की समीक्षा के लिए जिम्मेदार संसदीय सेलेक्ट कमेटी के अध्यक्ष पांडा के अनुसार, नया कानून पारित होने के पश्चात, भारत के दशकों पुराने कर ढांचे को सरल बनाएगा, कानूनी भ्रम को कम करेगा और व्यक्तिगत करदाताओं एवं एमएसएमई को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने में सहायता करेगा।
पांडा ने हाल ही में राष्ट्र प्रेस को बताया था कि वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 में 4,000 से अधिक संशोधन हो चुके हैं और इसमें 5 लाख से अधिक शब्द हैं, जिससे यह अत्यधिक जटिल हो गया है। नया विधेयक इसे लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाता है, जिससे सामान्य करदाताओं के लिए इसे पढ़ना और समझना कहीं अधिक सहज हो जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि इस सरलीकरण का सबसे अधिक लाभ छोटे व्यवसाय मालिकों और एमएसएमई को होगा, जिनके पास जटिल कर ढांचे से निपटने के लिए कानूनी और वित्तीय विशेषज्ञता की कमी होती है।
नए उपाय प्रत्यक्ष कराधान की एक निष्पक्ष और न्यायसंगत प्रणाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिससे देश के कामकाजी और मध्यम वर्ग पर प्रत्यक्ष करों का कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े।
सभी करदाताओं को लाभ पहुंचाने के लिए स्लैब और दरों में व्यापक बदलाव किए गए हैं। सरकार के अनुसार, नई संरचना मध्यम वर्ग के करों को काफी हद तक कम करती है और उनके हाथों में अधिक पैसा छोड़ती है, जिससे घरेलू उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलता है।
वित्त अधिनियम, 2025 ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 87ए के तहत कर छूट का दावा करने के लिए आय सीमा को 7 लाख रुपए से बढ़ाकर 12 लाख रुपए कर दिया है। साथ ही, अधिकतम छूट राशि 25,000 रुपए से बढ़ाकर 60,000 रुपए कर दी गई है।