क्या सशस्त्र बलों ने संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन में भविष्य का रोडमैप तय किया?

सारांश
Key Takeaways
- संयुक्तता और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- भविष्य के युद्ध की बदलती प्रकृति पर चर्चा हुई।
- सूचना युद्ध का महत्व बढ़ता जा रहा है।
- संयुक्त सैन्य अंतरिक्ष सिद्धांत पेश किया गया।
- संस्थागत सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
नई दिल्ली, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस) भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स का संयुक्त कमांडर्स सम्मेलन बुधवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह सम्मेलन सशस्त्र बलों का सबसे महत्वपूर्ण मंच है, जिसमें रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं के शीर्ष नेतृत्व एकत्रित होकर रणनीतिक और वैचारिक विमर्श करते हैं।
इस बैठक में सशस्त्र बलों के भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया, जिसमें तीनों सेनाओं के बीच संयुक्तता बढ़ाने पर जोर दिया गया। क्षमताओं के विकास को दिशा देने और राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के अनुरूप योजनाओं को संरेखित करने के लिए विचार-विमर्श किया गया। यह सम्मेलन सशस्त्र बलों को और अधिक एकीकृत, तकनीकी रूप से उन्नत और परिचालन रूप से चुस्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह सम्मेलन सेनाओं को बहु-क्षेत्रीय खतरों का सामना करने, राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और वैश्विक शांति में योगदान देने के लिए तैयार करेगा। कमांडर कॉन्फ्रेंस में तीनों सेनाओं के प्रमुख और सीडीएस भी उपस्थित रहे।
सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर को कोलकाता में किया। इस सम्मेलन की शुरुआत संयुक्त अभियान कमांड सेंटर द्वारा उच्चस्तरीय प्रदर्शन से हुई, जिसमें भारतीय एयर डिफेंस का लाइव प्रदर्शन भी शामिल था। चर्चाओं में भविष्य के युद्ध की बदलती प्रकृति और बहु-क्षेत्रीय ऑपरेशनों पर विशेष ध्यान दिया गया।
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने पिछले दो वर्षों में किए गए प्रमुख सुधारों और उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने अपने प्रेरक संबोधन में सशस्त्र बलों के रणनीतिक दृष्टिकोण को रेखांकित किया और कहा कि भविष्य की तैयारियों के लिए संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार की अत्यधिक आवश्यकता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक महत्वपूर्ण सत्र की अध्यक्षता की, जिसमें सैन्य बलों की वर्तमान तैयारी, क्षमता विकास और भविष्य के युद्धों के लिए रणनीतिक रोडमैप की समीक्षा की गई। इस सम्मेलन का एक प्रमुख फोकस सूचना युद्ध का बढ़ता महत्व रहा। इसके साथ ही, संयुक्त सैन्य अंतरिक्ष सिद्धांत भी पेश किया गया, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक ऐतिहासिक कदम माना गया।
रक्षा मंत्री ने सेनाओं को पारंपरिक युद्ध की सोच से आगे बढ़कर सूचना युद्ध, वैचारिक युद्ध, इकोलॉजिकल और बायोलॉजिकल युद्ध जैसी अदृश्य चुनौतियों के लिए सतर्क रहने का आह्वान किया। सम्मेलन के अंतिम दिन का फोकस उभरते खतरों और भविष्य की चुनौतियों पर रहा।
सीडीएस ने सुधार वर्ष के अंतर्गत तैयार की गई योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा दिया। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के बीच की संयुक्तता और सेवाओं के बीच एकीकरण, अंतर-परिचालन क्षमता, त्वरित निर्णय-प्रक्रिया एवं स्पेस, साइबर, सूचना और विशेष अभियान जैसे क्षेत्रों में संस्थागत सुधारों पर जोर दिया गया। प्रौद्योगिकी-आधारित युद्धक क्षमता और नवाचार को परिचालन सिद्धांतों में शामिल करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया।
सम्मेलन का समापन सीडीएस के सारगर्भित वक्तव्य के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सेनाओं की फुर्तीली, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार रूपांतरण की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि सुधारों को निरंतर प्रक्रिया के रूप में संस्थागत करना अनिवार्य है।