क्या सेनेगल के प्रधानमंत्री ने चीन के साथ संबंधों पर बात की?

सारांश
Key Takeaways
- सेनेगल-चीन संबंध विकास की नई संभावनाएं खोलते हैं।
- चीन ने कभी भी अफ्रीका में उपनिवेश नहीं किया।
- दुनिया को संतुलित और बहुपक्षीय बनाने की आवश्यकता है।
- वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग महत्वपूर्ण है।
- अफ्रीका के लिए अवसरों का लाभ उठाना चाहिए।
बीजिंग, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सेनेगल के प्रधानमंत्री ओस्मान सोनको ने पिछले महीने के अंत में उत्तर चीन के थ्येनचिन शहर में आयोजित ग्रीष्म दावोस मंच में भाग लिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने हांगचो, थ्येनचिन और पेइचिंग की यात्रा भी की।
इस दौरान, उन्होंने चाइना मीडिया ग्रुप (सीएमजी) को एक विशेष साक्षात्कार दिया। उन्होंने कहा कि चीन के विकास स्तर से उन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। मुझे यकीन है कि वैज्ञानिक व तकनीकी क्षेत्र में अग्रसर होने वाले देश भी यातायात, एआई, डिजिटल तकनीक व दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में चीन की उपलब्धियों की सराहना करते हैं। उल्लेखनीय है कि चीन उन प्रगतिशील तकनीकों और अपनी राष्ट्रीय स्थिति को घनिष्ठता से जोड़ता है, इसके साथ ही संस्कृति व मूल्य दर्शन में अपनी विशेषता और निरंतरता बनाए रखता है। ये अफ्रीकी देशों के लिए एक सीखने योग्य उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में सेनेगल-चीन संबंध अब सर्वांगीण रणनीतिक साझेदारी तक पहुँच गए हैं। इसका भारी महत्व है। हमें आशा है कि चीन, सेनेगल का सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिक सहयोगी साथी बनेगा और हमारे साथ सेनेगल की विकास परियोजनाओं के प्रत्येक महत्वपूर्ण क्षेत्र के कार्य को बढ़ाएगा, विशेषकर सेनेगल वर्ष 2050 विजन में।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के नाते अफ्रीका के बाहर मैंने अपनी पहली विदेश यात्रा में चीन का चयन किया, जो दर्शाता है कि हम दोनों देशों के संबंधों को अत्यधिक महत्व देते हैं। दोनों देशों के संबंध समान सिद्धांतों और मूल्य दर्शन पर आधारित हैं। अंतर्राष्ट्रीय मामलों में हम कई महत्वपूर्ण सवालों पर समान दृष्टिकोण रखते हैं और बहुपक्षीय व्यवस्थाओं में घनिष्ठ समन्वय व सहयोग बनाए रखते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि चीन और अफ्रीका के बीच कोई ऐतिहासिक बोझ नहीं है। चीन ने कभी भी अफ्रीका में उपनिवेश नहीं किया और अफ्रीका से कोई युद्ध नहीं छेड़ा। हमारे और चीन के संबंध पारस्परिक सम्मान, विकास और समृद्धि पर आधारित हैं। तथाकथित नया उपनिवेशवाद एक झूठा मुद्दा है।
वर्तमान में वैश्विक दक्षिण और ब्रिक्स देशों की सभी कोशिशों का बड़ा महत्व है। हमें ये कार्य आगे बढ़ाना है ताकि विश्व अधिक संतुलित और बहुपक्षीय हो। अफ्रीका के लिए यह एक अवसर है, जिसका लाभ उठाना है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)