क्या शिक्षक दिवस डॉ. राधाकृष्णन के विचारों से उपजी परंपरा है, जो शिक्षा को समाज परिवर्तन का माध्यम मानती है?

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क्या शिक्षक दिवस डॉ. राधाकृष्णन के विचारों से उपजी परंपरा है, जो शिक्षा को समाज परिवर्तन का माध्यम मानती है?

सारांश

शिक्षक दिवस 5 सितंबर को डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है, जो शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करते हैं। यह दिन शिक्षकों के प्रति सम्मान और समर्पण का प्रतीक है। जानिए इस परंपरा के पीछे का इतिहास और राधाकृष्णन के विचार।

Key Takeaways

  • शिक्षक का योगदान समाज में महत्वपूर्ण होता है।
  • डॉ. राधाकृष्णन के विचार शिक्षा के प्रति हमारी सोच को बदलते हैं।
  • शिक्षा केवल डिग्री का माध्यम नहीं है, बल्कि परिवर्तन का साधन है।
  • शिक्षक दिवस हमें अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर देता है।
  • इस दिन के माध्यम से हम शिक्षा के महत्व को समझते हैं।

नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ज्ञान के बिना व्यक्ति का अस्तित्व अधूरा है, किन्तु इसमें शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, जो नई पीढ़ी को एक मजबूत भविष्य के लिए तैयार करते हैं, जहाँ उन्नति, समृद्धि और संस्कार समाहित होते हैं। संत कहते हैं, "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय॥" यह दोहा गुरु की महत्ता को स्पष्ट करता है।

वास्तव में, विश्व में 5 अक्टूबर को 'विश्व शिक्षक दिवस' मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह दिन 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को पूरे देश में उत्साह के साथ 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाया जाता है।

शिक्षकों के प्रति समर्पण और श्रेष्ठता की मान्यता 1958 में प्रारंभ हुई थी, लेकिन एक निश्चित तिथि का निर्धारण नहीं हुआ था। 1960 के दशक के मध्य में, जब 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन आया, तब इस समारोह की तिथि निर्धारित की गई।

समाचारों और लेखों में उल्लेख है कि जब डॉ. राधाकृष्णन का जन्मदिन आया, तब कुछ छात्र उनसे मिलने गए थे और उनके जन्मदिन मनाने की इच्छा प्रकट की। इस पर डॉ. राधाकृष्णन ने कुछ समय तक चुप रहकर कहा, "मुझे खुशी होगी अगर मेरे जन्मदिन की जगह शिक्षक दिवस मनाया जाए।"

डॉ. राधाकृष्णन शिक्षा को समाज के लिए परिवर्तनकारी साधन मानते थे। अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, उन्होंने भारतीय संस्कृति और दर्शन की गहरी समझ से सभी को प्रभावित किया। उनके कार्यकाल के दौरान, भारतीय संविधान में निहित लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता स्पष्ट थी।

सरकारी प्रेस सूचना ब्यूरो की प्रेस विज्ञप्तियों में भी उल्लेख किया गया है कि उनके कार्यों ने भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया में समझने और स्वीकारने में मदद की। डॉ. राधाकृष्णन शिक्षा को केवल डिग्री प्राप्त करने का साधन नहीं मानते थे, बल्कि इसे सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त उपकरण मानते थे।

Point of View

बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जब हम अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। डॉ. राधाकृष्णन ने शिक्षा को एक परिवर्तनकारी साधन माना, और यह बात आज भी हमारे समाज में प्रासंगिक है। हमें अपने शिक्षकों के योगदान को समझना और उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहिए।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
शिक्षक दिवस 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है, जो शिक्षा के प्रति उनके योगदान को मान्यता देता है।
डॉ. राधाकृष्णन ने शिक्षा के बारे में क्या कहा?
डॉ. राधाकृष्णन ने शिक्षा को केवल डिग्री प्राप्त करने का साधन नहीं, बल्कि समाज में परिवर्तन लाने का एक सशक्त उपकरण माना।
भारत में शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है?
भारत में शिक्षक दिवस को उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम और समारोह आयोजित होते हैं।