क्या शिवराज सिंह चौहान ने तिरंगा यात्रा निकाली और स्वदेशी उत्पादों को अपनाने पर जोर दिया?

सारांश
Key Takeaways
- तिरंगा यात्रा का आयोजन स्वतंत्रता दिवस के महत्व को उजागर करने के लिए किया गया।
- स्वदेशी उत्पादों को अपनाने पर जोर दिया गया।
- कृषि मंत्री ने महात्मा गांधी के योगदान को याद किया।
- सिंधु जल समझौता के रद्द होने की बात की गई।
- भारत की आत्मनिर्भरता पर बल दिया गया।
भोपाल, 13 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा-रायसेन में एक तिरंगा यात्रा और स्वदेशी मार्च का आयोजन किया। इस अवसर पर उन्होंने सभी को स्वदेशी अपनाने का संकल्प दिलाया।
कृषि मंत्री चौहान ने तिरंगा यात्रा और स्वदेशी मार्च से पहले विदिशा में स्वयं-सहायता समूह की बहनों के साथ रक्षाबंधन पर्व मनाया। तिरंगा यात्रा विदिशा के माधवगंज चौराहे से आरंभ होकर रायसेन के महामाया चौक पर समाप्त हुई। यह यात्रा लगभग 28 किलोमीटर लंबी थी। इस दौरान कृषि मंत्री ने आम जनता से स्वतंत्रता दिवस पर अपने-अपने घरों पर झंडा फहराने की अपील की और स्वदेशी को अपनाने का संकल्प दिलाया।
इस मौके पर चौहान ने कहा कि हमारा राष्ट्रध्वज देश का गौरव और सम्मान है। तिरंगे को हाथ में लेकर लाखों लोगों ने आजादी की लड़ाई में कुर्बानियां दी हैं। अब स्वतंत्रता दिवस आ रहा है, इसे सभी धूमधाम से मनाएं और अपने घर पर तिरंगा फहराएं। चौहान ने विदिशा में स्वयं-सहायता समूह की बहनों के साथ रक्षाबंधन मनाया और सभी बहनों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दी। बहनों ने चौहान को तिलक लगाकर, आरती उतारकर, उनकी कलाई पर राखी बांधी।
चौहान ने कहा कि हम सभी संकल्प लें कि जो भी चीज़ चाहिए, वह अपने देश में बनी होनी चाहिए। हम विदेशी उत्पाद नहीं खरीदेंगे, ताकि देश के लोगों को रोजगार मिले और अर्थव्यवस्था मजबूत हो। उन्होंने कहा, हमारा मान तिरंगा, हमारी शान तिरंगा है। इस उद्घोष के साथ लाखों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी।
कृषि मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद हमें इतिहास गलत पढ़ाया गया। जब कांग्रेस की सरकार आई तो बच्चों को बताया गया कि देश को आजादी केवल महात्मा गांधी, नेहरू और इंदिरा गांधी ने दिलाई। मैं महात्मा गांधी को प्रणाम करता हूं, लेकिन आजादी के क्रांतिकारियों को भूलना नहीं चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने देश के साथ बेईमानी की है। नेहरू ने हमारे पानी को पाकिस्तान को दिया, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानी और खून एक साथ नहीं बहने देने की नीति अपनाई और सिंधु जल समझौता रद्द कर दिया।
चौहान ने कहा कि आज का भारत दुनिया की आंखों में आंखें मिलाकर बात करता है। पड़ोसी देश गीदड़भभकी दे रहा है, लेकिन भारत इससे डरने वाला नहीं है। सिंधु जल समझौता अब मुद्दा नहीं है, बल्कि पाक-ऑक्युपाइड कश्मीर है, जो हमारा है और हमारा ही रहेगा।