क्या सोना, चांदी या तांबा आपके जीवन और इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- सोने, चांदी और तांबे के बर्तन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकते हैं।
- कांसे के बर्तन पाचन में सुधार करते हैं।
- तांबे का पानी शरीर से विषाक्त तत्व निकालता है।
- चांदी बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करती है।
- मिट्टी के बर्तन एक पारंपरिक और प्राकृतिक विकल्प हैं।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हमारे रसोई में उपयोग होने वाले बर्तन केवल खाना बनाने या खाने के लिए नहीं होते, बल्कि ये हमारी सेहत पर गहरा प्रभाव डालते हैं। आयुर्वेद में यह बताया गया है कि किस धातु के बर्तन में भोजन करना शरीर के लिए कितना लाभकारी या हानिकारक हो सकता है।
हर बर्तन की अपनी विशेषताएँ होती हैं, जो शरीर की ऊर्जा, पाचन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
पहले बात करते हैं सोने के बर्तन की। सोना शरीर में ऊर्जा का संचार करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। इसमें खाया गया भोजन शरीर को पोषण देता है और इम्युनिटी को बढ़ाता है। हालांकि, सोना बहुत महंगा होता है, इसलिए इसका रोजाना उपयोग करना संभव नहीं है।
इसके बाद चांदी का स्थान है। चांदी के बर्तनों में खाना खाने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और यह बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करती है। लेकिन हर प्रकार का भोजन चांदी में नहीं खाया जा सकता, इसलिए इसे सीमित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए।
कांसे के बर्तन आयुर्वेद में अत्यंत लाभकारी माने गए हैं। यह पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं, गैस और एसिडिटी की समस्या को कम करते हैं। हालांकि, दूध या खट्टी चीजें कांसे में नहीं रखनी चाहिए क्योंकि इससे रासायनिक प्रतिक्रिया हो सकती है।
तांबे के बर्तन भी बहुत फायदेमंद होते हैं। इनमें रखा पानी शरीर से विषाक्त तत्वों को निकालने में मदद करता है और लीवर को मजबूत बनाता है। लेकिन तांबे के बर्तनों में दाल या दूध जैसी चीजें नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
पीतल के बर्तन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं, लेकिन इनमें रखे गए दूध या घी जल्दी खराब हो जाते हैं।
लोहे के बर्तन आयरन की कमी को पूरा करते हैं और रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाते हैं, लेकिन इनका संपर्क खट्टी चीजों से नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे जंग लगने का खतरा रहता है।
आजकल सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाले स्टील के बर्तन टिकाऊ और सुरक्षित होते हैं, लेकिन इनसे कोई विशेष स्वास्थ्य लाभ नहीं मिलता। वहीं, एल्युमिनियम के बर्तन हल्के और सस्ते जरूर हैं, परंतु लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। एल्युमिनियम शरीर में जमा होकर अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ाता है।
मिट्टी के बर्तन सबसे प्राकृतिक और पारंपरिक विकल्प हैं। इनमें पका खाना स्वादिष्ट होता है और यह ठंडक बनाए रखते हैं। हालांकि, इन्हें संभालना थोड़ा कठिन होता है क्योंकि ये नाजुक होते हैं और जल्दी टूट सकते हैं।