क्या सपा के लिए महिला सांसद की गरिमा से अधिक अल्पसंख्यक वोट बैंक महत्वपूर्ण है?: मंत्री बेबी रानी मौर्या

सारांश
Key Takeaways
- महिला गरिमा का सम्मान आवश्यक है।
- राजनीतिक लाभ के लिए महिलाओं का अपमान नहीं होना चाहिए।
- सपा की चुप्पी उनके वोट बैंक की लालसा को दर्शाती है।
- महिला सांसद के अपमान का मामला सामाजिक मुद्दा है।
- महिला सशक्तीकरण के नारों की वास्तविकता को समझना जरूरी है।
लखनऊ, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्या ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि सपा सांसद डिंपल यादव का जिस तरह से मुस्लिम धर्मगुरुओं द्वारा अपमान किया गया, उस पर सपा की चुप्पी यह दर्शाती है कि इस पार्टी के लिए महिला गरिमा से ज्यादा अल्पसंख्यक वोट बैंक महत्वपूर्ण है।
अखिलेश यादव और उनकी पत्नी, सपा सांसद डिंपल यादव, नई दिल्ली में संसद मार्ग स्थित मस्जिद में गए थे। उनके साथ सपा के अन्य सांसद, जैसे मोहिबुल्लाह नदवी (रामपुर सांसद और मस्जिद के इमाम), धर्मेंद्र यादव, और ज़िया उर रहमान बर्क भी थे। इस दौरान वहां एक बैठक हुई, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने सपा प्रमुख की धर्मपत्नी एवं सांसद डिंपल यादव को “राजनीतिक हिंदू महिला” कहकर उनके पहनावे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की। यह टिप्पणियां न केवल एक महिला सांसद की गरिमा पर, बल्कि एक भारतीय नारी और उसकी संस्कृति पर भी हमला थीं। हमारी विचारधारा और डिंपल यादव की विचारधारा भले ही अलग हों, लेकिन महिला का अपमान किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमारी विचारधारा सपा से भिन्न है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी किसी भी महिला का अपमान बर्दाश्त नहीं करती। उन्होंने कहा कि डिंपल यादव ने अपनी गरिमा और भारतीय मर्यादा के अनुरूप कपड़े पहने थे, फिर भी एक मौलाना ने उन्हें निशाना बनाया। क्या सपा अब मौलवियों के इशारे पर अपनी महिला सांसदों की गरिमा एवं उनका पहनावा तय करेगी? सपा प्रमुख डिंपल यादव के पति अखिलेश यादव की चुप्पी उनकी वोट बैंक की लालसा को दर्शाती है।
बेबी रानी मौर्य ने कहा कि सपा प्रमुख की चुप्पी यह भी दर्शाती है कि वे कट्टरपंथियों और तालिबानी मानसिकता रखने वालों के इतने बड़े समर्थक हैं कि सियासी फायदे के लिए वे अपनी धर्मपत्नी के अपमान पर भी मौन हैं। उन्होंने कहा, "आज डिंपल यादव पर टिप्पणी हुई है, कल किसी भी महिला पर हो सकती है। क्या अखिलेश यह संदेश देना चाहते हैं कि सत्ता के लिए उन्हें अपनी पत्नी का अपमान भी स्वीकार है?"
मंत्री ने कहा कि यह मुद्दा केवल डिंपल यादव का नहीं, बल्कि भारत की हर बेटी, हर महिला का है। मौलाना की जहरीली सोच को समर्थन देना सपा की सेक्युलर राजनीति का असली चेहरा उजागर करता है। बेबी रानी मौर्य ने कहा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के महिला सशक्तीकरण के फर्जी नारों की पोल खुल गई है। “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” का नारा देने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा भी अपनी साथी महिला सांसद के अपमान पर मौन हैं। जब मामला वोट बैंक का हो तो राहुल हों या प्रियंका गांधी हों या अखिलेश यादव, सबकी जुबान पर ताले लग जाते हैं।
मंत्री ने कहा कि इस पूरे प्रकरण ने दो बातें स्पष्ट कर दी हैं कि महिला सम्मान इन दलों के लिए एक स्थायी मूल्य नहीं, बल्कि राजनीतिक सुविधा है। समाजवादी पार्टी के लिए इस्लामिक वोट बैंक की नाराज़गी से बचना, एक महिला सांसद की गरिमा से ज्यादा जरूरी है।