क्या सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में नए परिसीमन की याचिका खारिज कर दी?

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क्या सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में नए परिसीमन की याचिका खारिज कर दी?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में परिसीमन प्रक्रिया की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि अगली जनगणना 2026 के बाद होगी, जिसके आधार पर ही परिसीमन शुरू किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में विशेष परिस्थितियों के तहत किए गए परिसीमन को वैध ठहराया गया। यह निर्णय महत्वपूर्ण है और संविधान के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में है।

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में परिसीमन की याचिका खारिज की।
  • अगली जनगणना 2026 के बाद होगी, जिसके आधार पर परिसीमन शुरू होगा।
  • जम्मू-कश्मीर में विशेष परिस्थितियों में परिसीमन को वैध ठहराया गया।
  • संविधान में परिसीमन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं।
  • इस निर्णय से राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

नई दिल्ली, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में नई परिसीमन प्रक्रिया की मांग करने वाली याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान के अनुसार, अगली परिसीमन प्रक्रिया केवल २०२६ के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर ही शुरू की जा सकती है। हालांकि, कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में किए गए परिसीमन को वैध ठहराया और कहा कि केंद्र सरकार को विशेष परिस्थितियों में वहां परिसीमन करने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत परिसीमन का आधार जनगणना के आंकड़े होते हैं। चूंकि अगली जनगणना २०२६ के बाद होगी, इसलिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में नई परिसीमन प्रक्रिया शुरू करना संभव नहीं है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि परिसीमन जैसे महत्वपूर्ण कदम केवल निर्धारित प्रक्रिया और समय के अनुसार ही उठाए जा सकते हैं।

वहीं, जम्मू-कश्मीर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के निर्णय का समर्थन किया। कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विशेष परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार को वहां अलग से परिसीमन करने का अधिकार है। यह परिसीमन जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सीटों के लिए किया गया था, जिसे कोर्ट ने संवैधानिक रूप से सही माना।

कोर्ट ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर का परिसीमन क्षेत्र की विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर किया गया, जो संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है।

यह याचिका आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ याचिकाकर्ताओं ने दायर की थी, जिन्होंने मांग की थी कि इन राज्यों में विधानसभा और लोकसभा सीटों का नए सिरे से परिसीमन किया जाए। उनका तर्क था कि जनसंख्या और क्षेत्रीय बदलावों के कारण नई परिसीमन प्रक्रिया जरूरी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए कहा कि संविधान में परिसीमन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है।

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए परिसीमन ने वहां की विधानसभा सीटों की संख्या और उनके क्षेत्रों को फिर से निर्धारित किया था। इस प्रक्रिया को केंद्र सरकार ने विशेष परिस्थितियों के तहत लागू किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने उचित ठहराया।

Point of View

NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में परिसीमन की याचिका क्यों खारिज की?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगली जनगणना 2026 के बाद होगी, और परिसीमन प्रक्रिया केवल उसी के आधार पर शुरू की जा सकती है।
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को क्यों वैध ठहराया गया?
कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विशेष परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार को वहां परिसीमन करने का अधिकार है।
क्या याचिकाकर्ताओं की मांगें मान्य थीं?
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज करते हुए कहा कि परिसीमन के लिए संविधान में स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं।
इस फैसले का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा?
यह निर्णय राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखने और संवैधानिक प्रक्रिया के अनुपालन को सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में नई परिसीमन प्रक्रिया कब शुरू होगी?
नई परिसीमन प्रक्रिया 2026 के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर ही शुरू की जाएगी।