क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिहार एसआईआर मामले में पारदर्शिता बढ़ेगी? शमा मोहम्मद

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट का आदेश बिहार एसआईआर में पारदर्शिता को बढ़ावा देगा।
- आधार कार्ड को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना गया है।
- भाजपा और चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने इस पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।
- मतदाता अधिकारों की सुरक्षा के लिए यह एक सराहनीय कदम है।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मामला बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इस पर विपक्ष ने सरकार का घेराव किया है।
बिहार एसआईआर प्रक्रिया के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने कहा कि यह आदेश बेहद महत्वपूर्ण है। इससे पहले चुनाव आयोग ने कहा था कि वह हटाए गए मतदाताओं के बारे में जानकारी नहीं देगा। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यह जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की जानी चाहिए और हर जगह उपलब्ध होनी चाहिए।
कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बताया कि आधार कार्ड एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह भाजपा और चुनाव आयोग के लिए एक बड़ा झटका है। भाजपा ने 2023 में आधार को वोटर कार्ड से लिंक किया था, लेकिन अब जब आधार का मामला आता है, तो भाजपा कहती है कि यह महत्वपूर्ण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सराहनीय है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक प्रेस वार्ता में दिखाया कि वोट चोरी किस प्रकार, कहाँ और कैसे हो रही है। इसके बाद से चुनाव आयोग ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं भाजपा ने प्रेस वार्ता में इस पर जवाब दिया है।
वायनाड और कन्नौज संसदीय क्षेत्रों पर भाजपा नेता अनुराग ठाकुर की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने कहा कि अनुराग ठाकुर झूठ बोलते हैं। उनसे यह सवाल पूछना चाहिए कि उन्हें यह डिजिटल डेटा कहाँ से मिला। कांग्रेस को चुनाव आयोग ने यह डेटा नहीं दिया है। उन्होंने सवाल किया कि भाजपा और चुनाव आयोग में क्या संबंध है। यह एक जांच का विषय है।