सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामला: क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ईडी ने घर खरीदारों को संपत्ति लौटाई?

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सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामला: क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ईडी ने घर खरीदारों को संपत्ति लौटाई?

सारांश

जानें, सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामले में ईडी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर घर खरीदारों को संपत्तियां लौटाने की प्रक्रिया शुरू की है। यह मामला 2011 से 2016 के बीच की विशाल धोखाधड़ी से जुड़ा है। क्या यह घर खरीदारों के लिए राहत की खबर है?

Key Takeaways

  • सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के हितों की रक्षा की है।
  • ईडी ने संपत्तियों की लौटाने की प्रक्रिया शुरू की है।
  • इस मामले ने बड़ी धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है।
  • कानूनी लड़ाई अभी जारी है।
  • यदि भविष्य में किसी भुगतान की राशि अपराध की आय से जुड़ी पाई जाती है, तो ईडी उचित कदम उठाएगी।

नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक) धोखाधड़ी मामले में जब्त की गई 'रॉयल राजविलास' परियोजना की संपत्तियों को लौटाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के 10 अक्टूबर को दिए गए आदेश के अनुपालन में उठाया गया है।

इस मामले की जड़ 2011 से 2016 के बीच सिंडिकेट बैंक से मुख्य आरोपी भरत बंब और अन्य द्वारा की गई 1267.79 करोड़ रुपए की विशाल धोखाधड़ी में है। सीबीआई ने इस संदर्भ में प्राथमिकी और आरोपपत्र दायर किए थे। ईडी ने इस धोखाधड़ी की आय को 'रॉयल राजविलास' परियोजना के अधिग्रहण और विकास में लगाने के आरोप में मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम 2002 के तहत जांच प्रारंभ की थी।

जांच के दौरान, ईडी ने 2 अप्रैल 2019 को एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया था, जिसके तहत 365 बिना बिके फ्लैट, 17 वाणिज्यिक इकाइयां और 2 प्लॉट कुर्क किए गए थे। इस कुर्की की पुष्टि एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने भी की थी।

इसके पश्चात, याचिकाकर्ता कंपनी को कॉर्पोरेट देनदार के रूप में दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में लाया गया। सीआईआरपी के अंतर्गत, मुंबई स्थित NCLT ने 24 फरवरी 2022 को न केवल समाधान योजना को मंजूरी दी, बल्कि ईडी के कुर्की आदेश को भी रद्द कर दिया।

ईडी ने NCLAT के इस आदेश को यह कहते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर में चुनौती दी कि NCLT के पास पीएमएलए के तहत पारित कुर्की आदेश को रद्द करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है। यह कानूनी लड़ाई उच्च न्यायालय की एकल पीठ और खंडपीठ दोनों में जारी रही। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 28 मार्च 2025 को अपने निर्णय में एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया।

इसके बाद मामला मेसर्स उदयपुर वर्ल्ड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर एक एसएलपी के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया। सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के हितों को सर्वोपरि मानते हुए ईडी को निर्दोष घर खरीदारों को संपत्ति वापस करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर के अपने आदेश में निदेशालय के इस प्रयास की सराहना की और निपटारा कर दिया। हालांकि, ईडी ने यह स्पष्ट किया है कि पीएमएलए के तहत सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी मामले में उसकी जांच अभी भी जारी है और यदि किसी घर खरीदार द्वारा किए गए भुगतान की राशि भविष्य की जांच में अपराध की आय से जुड़ी पाई जाती है, तो निदेशालय कानून के अनुसार उचित कदम उठाने का हकदार होगा।

Point of View

जिसमें उसने घर खरीदारों के अधिकारों की रक्षा की है। यह कदम न केवल न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि सरकारी एजेंसियों को पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ काम करना चाहिए।
NationPress
14/10/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रीम कोर्ट का आदेश कब दिया गया था?
सुप्रीम कोर्ट का आदेश 10 अक्टूबर को दिया गया था।
संपत्तियों को लौटाने की प्रक्रिया कब शुरू हुई?
संपत्तियों को लौटाने की प्रक्रिया 14 अक्टूबर को शुरू की गई।
यह धोखाधड़ी मामला किससे संबंधित है?
यह धोखाधड़ी मामला सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक) से संबंधित है।
ईडी की जांच कब शुरू हुई थी?
ईडी की जांच 2011 से 2016 के बीच शुरू हुई थी।
क्या ईडी की जांच अभी भी जारी है?
हाँ, ईडी की जांच अभी भी जारी है।