क्या लोकसभा में सुप्रिया सुले ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए?

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क्या लोकसभा में सुप्रिया सुले ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए?

सारांश

लोकसभा में सुप्रिया सुले ने चुनाव आयोग की गंभीर आलोचना की है, जिसमें उन्होंने आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए भ्रष्टाचार और हिंसा को रोकने में उसकी विफलता की ओर इशारा किया। क्या चुनाव आयोग वास्तव में लोकतंत्र का रक्षक है?

Key Takeaways

  • चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए।
  • भ्रष्टाचार और हिंसा की रोकथाम में विफलता।
  • राजनीतिक झुकाव से विश्वसनीयता प्रभावित होती है।
  • महाराष्ट्र में चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी।
  • लोकतंत्र के लिए तटस्थ रक्षक की आवश्यकता।

नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने मंगलवार को लोकसभा में चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग अब तटस्थ नहीं रह गया है, भ्रष्टाचार और हिंसा को रोकने में नाकाम रहा है, और सिस्टम में मौजूद खामियों को नजरअंदाज कर रहा है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है।

लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान सुले ने कहा कि आम जनता का चुनाव आयोग से भरोसा कम हो गया है। लोग मानने लगे हैं कि आयोग अब निष्पक्ष नहीं रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने में असफल रहा और डिजिटल दुनिया में फैल रही झूठी खबरें, डीपफेक और लक्षित प्रचार को रोक नहीं पा रहा।

सुले ने कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भी राजनीतिक झुकाव वाली होती जा रही है, जिससे संस्था की विश्वसनीयता कमजोर हो रही है। उनका कहना है कि राजनीतिक पार्टियां रोजाना खर्च की सीमा को तोड़ती हैं और आयोग इससे आंखें मूंद लेता है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि चुनावी गलतियां खासकर शहरी गरीबों, प्रवासियों और हाशिए पर रहने वाले समूहों को प्रभावित करती हैं।

उन्होंने वीवीपीएटी सत्यापन प्रक्रिया की भी आलोचना की और कहा कि यह बहुत सीमित और अपारदर्शी है। अधिकारियों के तबादले भी अक्सर राजनीतिक लगाव वाले लगते हैं। सुले ने तंज कसते हुए कहा, "क्या चुनाव आयोग लोकतंत्र की रक्षा करेगा, या लोकतंत्र को खुद अपनी रक्षा करनी पड़ेगी?"

सुले ने महाराष्ट्र की हालिया पंचायत चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि स्थिति बहुत ही गंभीर थी। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव में खुलेआम कैश बांटा गया।

उन्होंने यह भी कहा कि नामांकन और नाम वापसी में गड़बड़ी की गई, हिंसा रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई, वाहनों को तोड़ा गया, बंदूकें दिखाई गईं, और ईवीएम के लॉक तक तोड़े गए। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र में कोई चुनाव आयोग नहीं है।"

सुले ने साफ किया कि चुनाव आयोग को लोकतंत्र का तटस्थ रक्षक बनना चाहिए, न कि सरकार का सहायक।

Point of View

यह देखना महत्वपूर्ण है कि जब राजनीतिक दलों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाते हैं, तो यह पूरे लोकतंत्र के लिए चिंताजनक होता है। चुनाव आयोग को निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए, ताकि जनता का विश्वास बना रहे।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

सुप्रिया सुले ने चुनाव आयोग पर क्या आरोप लगाए?
सुप्रिया सुले ने कहा कि चुनाव आयोग अब तटस्थ नहीं रह गया है और भ्रष्टाचार और हिंसा को रोकने में नाकाम रहा है।
क्या चुनाव आयोग की नियुक्ति में राजनीतिक झुकाव है?
सुले ने आरोप लगाया कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राजनीतिक झुकाव वाली होती जा रही है, जिससे संस्था की विश्वसनीयता कमजोर हो रही है।
महाराष्ट्र के पंचायत चुनावों में क्या हुआ?
सुले ने कहा कि पंचायत चुनावों में खुलेआम कैश बांटा गया और नामांकन तथा नाम वापसी में गड़बड़ी की गई।
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