क्या तेजस्वी यादव बताएं मृत मतदाता को वोटर लिस्ट में रखा जाना चाहिए? दिलीप जायसवाल

सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव के बयान ने बिहार की सियासत में हलचल मचाई है।
- दिलीप जायसवाल ने उठाया महत्वपूर्ण सवाल।
- मृत मतदाता के नाम वोटर लिस्ट में रखने की वैधता पर बहस।
- राजद और इंडी अलायंस का बहिष्कार होने की संभावना।
- बिहार सरकार की योजनाओं का असर चुनाव में दिख सकता है।
पटना, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख तेजस्वी यादव के 'चुनाव बहिष्कार' संबंधी बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। उनके इस बयान पर बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने सवाल उठाया कि क्या मृत मतदाता को वोटर लिस्ट में शामिल किया जाना चाहिए?
गुरुवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके पास कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं। पहली बात यह है कि नेता प्रतिपक्ष जिन मतदाताओं के नाम हटाए जाने का आंकड़ा प्रस्तुत कर रहे हैं, उन्हें पहले यह सोचने की आवश्यकता है कि मृतक मतदाताओं के नाम हटाए जाने चाहिए या नहीं और ऐसे कितने मतदाता हैं जिनके नाम मृत्यु के कारण हटाए जा रहे हैं? उन्हें यह संख्या ध्यान में रखनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची से मृत, स्थानांतरित, दोहरे मतदाताओं और फर्जी पते वालों के नाम हटाना एक आवश्यक और तार्किक प्रक्रिया है।
जायसवाल ने सवाल उठाया कि क्या मृत मतदाताओं या गलत पते पर दर्ज लोगों के नाम वोटर लिस्ट में रहना चाहिए। यह प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाने के लिए की जा रही है। तेजस्वी जिन बातों का उल्लेख कर रहे हैं, मतदाता उन पर ध्यान नहीं देते हैं।
पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि उन्हें ऐसा करना चाहिए, लेकिन सच्चाई यह है कि जनता उनके बहिष्कार के लिए तैयार हो रही है। वे किसका बहिष्कार करेंगे? मतदाता खुद राजद और इंडी अलायंस का बहिष्कार करने की सोच रहे हैं।
बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू ने कहा कि तेजस्वी यादव आने वाली स्थिति को ध्यान में रखकर बोल रहे हैं। उन्हें ज्ञात है कि इस बार उनकी सीटें दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाएंगी। उन्हें यह भी समझ है कि उनकी हार निश्चित है। इसलिए वे चुनाव से दूरी बनाने के लिए ऐसा बयान दे रहे हैं। तेजस्वी यादव मौजूदा स्थिति को देखकर चुनाव से पहले ही भाग रहे हैं।
भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि वे बहिष्कार नहीं करेंगे, लेकिन बिहार की मानसिकता समझ गए हैं। जिस प्रकार से पहले लोकसभा में हार का सामना करना पड़ा, फिर विधानसभा के उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा, सरकार की विकास और कल्याणकारी योजनाओं की लहर देखकर उन्हें अपनी हार स्पष्ट दिखाई दे रही है।