क्या नेताओं द्वारा खुद को 'जननायक' बताना उचित है? : तेजप्रताप यादव
सारांश
Key Takeaways
- तेजप्रताप यादव ने नेताओं के खुद को 'जननायक' बताने पर आपत्ति जताई।
- असली जननायक महात्मा गांधी और अंबेडकर हैं।
- राजनीतिक लाभ के लिए शब्दों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
- तेजप्रताप का समर्थन बिहार के गरीब लोग करते हैं।
- राजनीति में वास्तविकता और जनसेवा का महत्व है।
पटना, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जनशक्ति जनता दल के संस्थापक और बिहार सरकार में पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव ने मंगलवार को बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नेताओं द्वारा खुद को ‘जननायक’ बताने पर कड़ी आपत्ति उठाई।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस के साथ बात करते हुए कहा कि इस समय की परिस्थितियों को देखते हुए कुछ लोग जो खुद को ‘जननायक’ कहने का प्रयास कर रहे हैं, वह निहायत गलत है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जननायक का असली अर्थ महात्मा गांधी, कर्पूरी ठाकुर और डॉ. भीम राव अंबेडकर से है, जिन्होंने अपने जीवन को जनता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।
जब उनसे लालू यादव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने जनता की सेवा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया है। वह भी एक जननायक हैं। इसलिए यह ध्यान देना आवश्यक है कि लालू प्रसाद यादव का समर्थन तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर है। इसी कारण आज ये दोनों नेता खुद को जनता के बीच में ‘जननायक’ बता पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर आप इन दोनों नेताओं के ऊपर से लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया हटा दें, तो आप उनकी स्थिति का सही अनुमान लगा सकेंगे।
इसके साथ ही, तेजप्रताप यादव ने अपने बारे में चर्चा करते हुए कहा कि उनके ऊपर किसी बड़े नेता का समर्थन नहीं है। अगर कोई मेरा समर्थन करता है, तो वह हैं बिहार के गरीब लोग। बिहार के युवा, बुजुर्ग जो मेरे बारे में सोचते हैं और मैं उनके बारे में। हम इसी सिद्धांत के साथ बिहार की जनता के बीच काम कर रहे हैं और भविष्य में भी यही करेंगे। अगर ये लोग अपने दम पर कुछ करके दिखाएं, तो हम मानेंगे।