क्या त्रिपुरा के मुख्यमंत्री साहा ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर पुरस्कारों की घोषणा की?

सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री माणिक साहा ने पुरस्कारों की घोषणा की।
- अगरतला टाउन हॉल का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखा जाएगा।
- शिक्षा में योगदान देने वालों को सम्मानित किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री मोदी के विचारों की प्रासंगिकता पर जोर दिया गया।
- सामाजिक सुधारों के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के योगदान को सराहा गया।
अगरतला, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने रविवार को श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सम्मान में दो महत्वपूर्ण पुरस्कारों की घोषणा की। उन्होंने बताया कि अगरतला टाउन हॉल का नाम बदलकर उनके नाम पर रखा जाएगा और वहाँ एक संगमरमर की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा, "सरकार ने यह निर्णय लिया है कि शिक्षा विभाग की पहल पर शिक्षण के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों को श्यामा प्रसाद मुखर्जी पुरस्कार दिया जाएगा। यह पुरस्कार शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रदान किया जाएगा।"
अगले वर्ष उनकी जयंती पर सूचना एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग सामाजिक, राजनीतिक, राष्ट्रीय सेवा और प्रशासनिक कार्यों में विशेष योगदान देने वालों को श्यामा प्रसाद मुखर्जी उत्कृष्टता पुरस्कार देने की योजना बना रहा है।
मुख्यमंत्री साहा ने कहा, "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अगरतला टाउन हॉल का नाम बदलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सम्मान में रखा जाएगा और हॉल के सामने उनकी संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।"
साहा ने कहा कि हर कोई, हर वर्ष सरकारी और विभिन्न स्तरों पर इस दिन को मनाता है। मुख्यमंत्री ने कहा, "श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचार, सिद्धांत और आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। इसलिए हमें उनके जीवन दर्शन के बारे में जानना चाहिए। भविष्य में हमें उनके द्वारा लोगों के लिए किए गए कार्यों के बारे में और अधिक जानना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत की सामाजिक व्यवस्था में बदलाव देखने को मिला है। वे देश के महान लोगों के जीवन दर्शन को हमारे सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।
साहा ने कहा कि प्रधानमंत्री अब वही कह रहे हैं जिस पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जोर दिया था, खासकर सामाजिक सुधारों के संबंध में। साहा ने कहा कि देश आजाद होने के बाद अर्थव्यवस्था का कोई आधार नहीं था, सामाजिक ढांचे की कोई स्पष्ट रूपरेखा नहीं थी। प्रधानमंत्री सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास की बात करते हैं।