क्या उद्धव ठाकरे की किसानों के प्रति सहानुभूति केवल नौटंकी है?

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे ने बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए कर्ज माफी की मांग की।
- राधाकृष्ण विखे पाटिल ने ठाकरे की सहानुभूति पर सवाल उठाए।
- राजनीतिक बयानबाजी में किसानों की समस्याओं का उपयोग किया जाता है।
- केंद्र और राज्य सरकार मिलकर किसानों के हित में काम कर रही हैं।
- बाढ़ प्रबंधन पर भी सवाल उठाए गए हैं।
शिरडी, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने मराठवाड़ा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते हुए राज्य सरकार पर तीखे हमले किए। उन्होंने मांग की कि किसानों का कर्ज माफ किया जाए और प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपए की तात्कालिक सहायता दी जाए। इस पर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने प्रतिक्रिया दी है।
उद्धव ठाकरे ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने किसानों की मांगों को नजरअंदाज किया, तो वे किसानों के साथ मिलकर सड़कों पर उतरेंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा, "किसान संकट में हैं। बारिश ने उनकी फसलों को नष्ट कर दिया है। सरकार को तुरंत कर्ज माफी और आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हम चुप नहीं बैठेंगे।"
उद्धव ठाकरे ने बांधों और जल प्रबंधन की स्थिति पर भी सवाल उठाए, जिससे बाढ़ की स्थिति और बिगड़ गई।
विखे पाटिल ने कहा, "सत्ता से बाहर होने के बाद उद्धव ठाकरे अब किसानों के प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं। जब वे मुख्यमंत्री थे, तब किसानों की अनदेखी की। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करना स्वागत योग्य है, लेकिन इसे अपनी नाकामियों को छिपाने का राजनीतिक हथकंडा बनाना गलत है।"
उन्होंने यह भी कहा कि "लाड़ली बहनों ने उद्धव ठाकरे को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया। अब जब सरकार लाड़ली बहनों का सम्मान कर रही है, तब ठाकरे उनका अपमान कर रहे हैं। लाड़ली बहनें ही अब उन्हें सबक सिखाएंगी।"
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि केंद्र सरकार ने एनडीआरएफ के मानकों में बदलाव कर किसानों को अधिक सहायता देने की दिशा में कदम उठाया है।
उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दिल्ली में इस मुद्दे पर विशेष पहल कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार मिलकर किसानों के हित में काम कर रही है।"