क्या यूपी विधानसभा का मानसून सत्र विपक्ष से सहयोग मांगेगा?

सारांश
Key Takeaways
- सदन की कार्यवाही में सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है।
- सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।
- विपक्ष को सदन में अपने सवाल उठाने चाहिए।
- लोकतंत्र की मर्यादा को बनाए रखना आवश्यक है।
- संविधान और लोकतंत्र की सुरक्षा पर जोर दिया गया।
लखनऊ, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र आज अपने दूसरे दिन में प्रवेश कर चुका है। पहले दिन का माहौल हंगामेदार रहा, जिसके कारण सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। मंगलवार को सदन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मीडिया से बातचीत में विपक्ष से सहयोग की अपील की।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी केवल अध्यक्ष या सरकार की नहीं, बल्कि सभी सदस्यों की है। उन्होंने कहा कि कई महत्वपूर्ण विषय हैं जिन पर चर्चा हो सकती थी। मैंने प्रतिपक्ष के सदस्यों से कहा है कि वे अपनी बात रखें। उन्होंने स्कूल मर्जर, बाढ़ और बिजली की समस्याओं पर चर्चा की, और मैंने उन्हें पूरा अवसर देने की बात कही।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार चाहती है कि सदन सुचारू रूप से चले। अगर विपक्ष के पास सवाल हैं, तो उन्हें सदन में उठाना चाहिए, सरकार उसका जवाब देगी। हम हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार हैं। लेकिन अगर विपक्ष चर्चा में हिस्सा नहीं लेना चाहता और भागना चाहता है, तो उसका इलाज सरकार नहीं कर सकती।
फतेहपुर में मकबरा-मंदिर विवाद पर सवाल पूछे जाने पर मौर्य ने कहा कि मामले में मुकदमा दर्ज हो चुका है, जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
दिल्ली में सोमवार को चुनाव आयोग तक विपक्ष के मार्च पर उन्होंने कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में यह होड़ है कि राहुल गांधी आगे हैं या अखिलेश यादव, या कोई और विपक्षी नेता। चुनाव आयोग ने इंडी गठबंधन के 30 नेताओं को बुलाया था अपनी बात कहने के लिए, लेकिन सड़क पर प्रदर्शन करने लगे। यह लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार करता है। सपा, कांग्रेस और इंडी गठबंधन मिलकर संविधान और लोकतंत्र की हत्या करना चाहते हैं।