क्या वाराणसी भाषायी विविधता के माध्यम से देश की एकता और समावेशी विकास की आधारशिला है?

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क्या वाराणसी भाषायी विविधता के माध्यम से देश की एकता और समावेशी विकास की आधारशिला है?

सारांश

वाराणसी में 'भारतीय भाषा समागम' में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भाषायी विविधता की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यह विविधता न केवल सामाजिक बंधनों को मजबूत करती है, बल्कि देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आइए, जानते हैं उनके विचारों के पीछे की गहराई।

Key Takeaways

  • भाषायी विविधता सामाजिक और आर्थिक विकास की नींव है।
  • मातृभाषा में शिक्षा से बच्चे सशक्त होते हैं।
  • भाषा का सम्मान संस्कृति का संरक्षण करता है।
  • प्रधानमंत्री के 'पंच प्रण' का महत्व है।
  • शोधकर्ताओं को प्राचीन ज्ञान को सभी भाषाओं में उपलब्ध कराना चाहिए।

वाराणसी, 13 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित 'भारतीय भाषा समागम' में अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने विभिन्न भाषाओं और बोलियों के प्रति आपसी सम्मान और समझ की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भाषायी विविधता देश की एकता और समावेशी विकास की आधारशिला है।

उप राज्यपाल ने कहा, "भाषायी सौहार्द्र समाज में तेज सामाजिक-आर्थिक विकास की नींव रखता है, सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है और सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है। भाषायी विविधता हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखती है और लोगों को राष्ट्रनिर्माण में योगदान करने के लिए सशक्त बनाती है।"

एलजी सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की विकास यात्रा पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिपादित 'पंच प्रण' देश के भविष्य का स्पष्ट मार्गदर्शन है।

उन्होंने आग्रह किया कि भाषा-विशारदों, शोधकर्ताओं और लेखकों को ऐसे तंत्र विकसित करने चाहिए जो भारत के प्राचीन ज्ञान को सभी मातृभाषाओं में स्कूल पाठ्यक्रमों और पुस्तकालयों में उपलब्ध कराएं। इससे युवा पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर की गहरी समझ मिलेगी।

उप राज्यपाल ने बताया कि जब बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करते हैं और साथ ही अन्य भाषाएं भी सीखते हैं, तो वे अधिक सशक्त, सक्षम और आत्मविश्वासी बनते हैं। मातृभाषा सृजनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देती है। भाषा की विविधता से कला, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में अलग-अलग दृष्टिकोणों का समावेश संभव होता है, जिससे देश की प्रगति और सुदृढ़ होती है।

एलजी सिन्हा ने यह भी उल्लेख किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति‑2020 मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा को शिक्षा की प्रारंभिक अवस्था में माध्यम भाषा के रूप में इस्तेमाल करने का समर्थन करती है। इस नीति का उद्देश्य सांस्कृतिक संरक्षण को प्रोत्साहित करना है।

उपराज्यपाल कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित 'भारतीय भाषा समागम' को संबोधित करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हुई। राष्ट्रीय एकता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए भाषाई सद्भाव, विविध भाषाओं और बोलियों के प्रति आपसी सम्मान और समझ पर बात की।"

--आईएएनएश

वीकेयू/डीकेपी

Point of View

यह देखना महत्वपूर्ण है कि भाषायी विविधता न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखती है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक समावेश की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह हमारे देश की एकता को मजबूत करती है और युवा पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनाती है।
NationPress
13/09/2025

Frequently Asked Questions

भाषायी विविधता क्यों महत्वपूर्ण है?
भाषायी विविधता से सामाजिक बंधनों को मजबूती मिलती है, सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहती है और समाज में समानता को बढ़ावा मिलता है।
क्या मातृभाषा में शिक्षा लेना बच्चों के लिए फायदेमंद है?
हाँ, मातृभाषा में शिक्षा लेने से बच्चे अधिक आत्मविश्वासी और सक्षम बनते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति‑2020 का क्या उद्देश्य है?
इस नीति का उद्देश्य मातृभाषा को शिक्षा की प्रारंभिक अवस्था में माध्यम भाषा के रूप में उपयोग करना है।