क्या विपक्षी दलों को संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास नहीं है? : आरपी सिंह

सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष का संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास खोना चिंता का विषय है।
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को बढ़ाएगा।
- महागठबंधन में अंदरूनी कलह का संकेत मिलता है।
- ममता बनर्जी की सरकार को राजनीतिक संरक्षण का आरोप।
- बिहार में विकास की सराहना करने पर राहुल गांधी को सुर्खियाँ मिलीं।
नई दिल्ली, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के मतदाता सूची के पुनरीक्षण के विरुद्ध विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड को शामिल करने पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि विपक्षी दलों को संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास नहीं है।
आरपी सिंह ने कहा कि विपक्ष सुप्रीम कोर्ट गया और रोक लगाने की मांग की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। अब उन्हें किसी भी संवैधानिक संस्था पर भरोसा नहीं है, न ही चुनाव आयोग पर और न ही सुप्रीम कोर्ट पर। वे हार रहे हैं और झूठी कहानियाँ गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव चुनाव हार रहे हैं। बिहार दौरे के दौरान जब राहुल गांधी ने एक महिला से पूछा कि यहाँ पर क्या विकास हुआ है, तो उस महिला ने बताया कि स्कूलों में अच्छी पढ़ाई हो रही है और लड़कियों को कंप्यूटर और साइकिल दी गई है। इससे राहुल को यह समझ आ गया कि नीतीश कुमार ने बहुत विकास किया है।
आरपी सिंह ने महागठबंधन पर कहा कि हालिया रैली के दौरान तेजस्वी यादव के लोगों ने कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को मंच पर नहीं चढ़ने दिया। इसलिए, जब वे एकता दिखाने का प्रयास करते हैं, तो सभी जानते हैं कि उनके बीच अंदरूनी कलह है।
वहीं, कोलकाता रेप मामले को लेकर आरपी सिंह ने ममता सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक संरक्षण के कारण पश्चिम बंगाल में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, क्योंकि टीएमसी के युवा नेताओं को इन मामलों में दोषी पाया जा रहा है। इन लोगों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। वास्तविकता यह है कि ममता बनर्जी पूरी तरह से विफल हो चुकी हैं। इस बार के चुनाव में जनता उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देगी।