क्या 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाना महत्वपूर्ण है?

सारांश
Key Takeaways
- 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जाता है।
- शरणार्थी वे लोग हैं जो युद्ध या उत्पीड़न के कारण अपने देश को छोड़ते हैं।
- इस दिन का उद्देश्य शरणार्थियों के अधिकारों और जरूरतों पर प्रकाश डालना है।
- इस वर्ष की थीम "शरणार्थियों के साथ एकजुटता" है।
- डब्ल्यूएचओ विस्थापित लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार का समर्थन करता है।
नई दिल्ली, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। हर साल 20 जून को पूरी दुनिया में लोग विश्व शरणार्थी दिवस का आयोजन करते हैं। शरणार्थी वह व्यक्ति होता है जिसे युद्ध, उत्पीड़न या प्राकृतिक आपदा के कारण अपना देश छोड़कर किसी अन्य स्थान पर आश्रय लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। हर साल लाखों लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर नए जीवन की खोज में निकलते हैं।
विश्व शरणार्थी दिवस की शुरुआत 20 जून 2001 को हुई थी, जब 1951 कन्वेंशन की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। इसका मुख्य उद्देश्य शरणार्थियों के अधिकारों और आवश्यकताओं पर जोर देना है। इसके साथ ही, यह संसाधनों और राजनीतिक इच्छाशक्ति को जुटाने का भी प्रयास करता है ताकि शरणार्थी न केवल जीवित रह सकें, बल्कि अपने जीवन में प्रगति कर सकें। दिसंबर 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मान्यता दी। पहले इसे अफ्रीका शरणार्थी दिवस के रूप में जाना जाता था।
संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थियों के लिए बने उच्चायुक्त के अनुसार, हर साल विश्व शरणार्थी दिवस पर कई देशों में शरणार्थियों के समर्थन में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये गतिविधियाँ शरणार्थियों द्वारा या सरकारी अधिकारियों, मेज़बान समुदाय, कंपनियों, मशहूर हस्तियों और स्कूली बच्चों के सहयोग से आयोजित की जाती हैं।
वर्तमान में, वैश्विक अनिश्चितता के दौर में, जब लोग स्वार्थ को मानवता पर प्राथमिकता देते हैं, तब जबरन विस्थापित लोगों की संख्या बढ़ रही है, जो अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया भर में 123 मिलियन से अधिक लोग जबरन विस्थापित हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि स्वास्थ्य एक बुनियादी मानव अधिकार है, जो सम्मान, सुरक्षा और समावेश के लिए आवश्यक है। इसलिए, वे विस्थापित लोगों के साथ एकजुटता में खड़े हैं।
इस वर्ष, विश्व शरणार्थी दिवस की थीम "शरणार्थियों के साथ एकजुटता" रखी गई है, जिसमें एकजुटता का अर्थ है शरणार्थियों को केवल शब्दों से नहीं, बल्कि कार्यों से भी सम्मानित करना।