क्या वक्फ कानून से मुसलमानों को लाभ होगा? विनय सहस्रबुद्धे का बयान

सारांश
Key Takeaways
- वक्फ कानून मुस्लिम समुदाय के हित में है।
- सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून को समर्थन दिया है।
- गरीब मुसलमानों के लिए यह संशोधन फायदेमंद होगा।
- इमरजेंसी के दौर के अनुभवों को नई पीढ़ी को जानने की आवश्यकता है।
- अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना जरूरी है।
नई दिल्ली, १५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा नेता विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि वक्फ (संशोधन) कानून मुस्लिम भाई-बहनों के लिए लाभकारी है और इससे उन्हें फायदा होगा।
भाजपा नेता का यह बयान उस समय आया है जब वक्फ संशोधन कानून के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अंतरिम निर्णय सुनाया।
विनय सहस्रबुद्धे ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में इस निर्णय को अपेक्षित बताया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने संविधान की धाराओं के अनुसार संसद के कार्य का समर्थन किया है, जिससे उन्हें हर्ष की अनुभूति हुई।
केंद्र सरकार ने कहा है कि इस संशोधन का लाभ गरीब मुसलमानों को मिलेगा। इस पर उन्होंने कहा कि यह बिल्कुल सही है, क्योंकि यह संशोधन उनके हितों को ध्यान में रखकर किया गया है।
उन्होंने इमरजेंसी के ५० साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम पर भी बात की। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है, ताकि हमारी युवा पीढ़ी को आपातकाल के काले दौर के बारे में जानकारी मिल सके।
उन्होंने कहा कि अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना जरूरी है। इमरजेंसी भारत में क्यों लगी और इसके परिणाम क्या रहे, इसके सभी पहलुओं के बारे में युवा पीढ़ी को जानकारी होनी चाहिए।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी कानून की संवैधानिकता की धारणा होती है और उसे केवल अत्यंत दुर्लभ मामलों में ही रोका जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई है। अब कलेक्टर को प्रॉपर्टी विवाद पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होगा।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सोमवार को इस मामले में अंतरिम राहत पर निर्णय सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने २२ मई को निर्णय सुरक्षित रखा था। सोमवार को कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून के संपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, लेकिन कुछ धाराओं पर अंतरिम संरक्षण आवश्यक है।