क्या बड़े निवेश और रणनीतिक साझेदारी से भारत प्रतिस्पर्धी चिप मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित हो रहा है? : रिपोर्ट

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क्या बड़े निवेश और रणनीतिक साझेदारी से भारत प्रतिस्पर्धी चिप मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित हो रहा है? : रिपोर्ट

सारांश

भारत बड़े निवेश और रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से वैश्विक चिप मैन्युफैक्चरिंग में प्रमुखता हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। हाल की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक भारत में निर्मित चिप्स बाजार में उपलब्ध होंगे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

Key Takeaways

  • भारत 2025 तक चिप निर्माण में स्वावलंबी बनने की दिशा में अग्रसर है।
  • सरकार ने 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता की पेशकश की है।
  • कई प्रमुख कंपनियाँ भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित कर रही हैं।
  • सेमीकंडक्टर उद्योग आर्थिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • भारत वैश्विक चिप सप्लाई चेन में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।

नई दिल्ली, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बड़े निवेश और रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से भारत वैश्विक चिप सप्लाई चेन में एक प्रतिस्पर्धी मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई है।

इंडिया नैरेटिव की रिपोर्ट के अनुसार, 50 प्रतिशत तक राजकोषीय सहायता प्रदान करने वाली सरकारी योजनाओं के समर्थन से, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2024-25 में 45-50 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) विभिन्न योजनाएं संचालित करता है, जिनमें सेमीकंडक्टर फैब्स स्कीम, डिस्प्ले फैब्स स्कीम, कंपाउंड सेमीकंडक्टर, एटीएमपी/ओएसएटी स्कीम और डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) स्कीम शामिल हैं।

सेमीकंडक्टर फैब्स और डिस्प्ले फैब्स स्कीम अपने-अपने क्षेत्रों में आने वाली परियोजनाओं के लिए 50 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। डीएलआई योजना प्रत्येक चिप डिजाइन स्टार्टअप या एमएसएमई को 15 करोड़ रुपए तक का प्रोत्साहन देती है, और अब तक 22 चिप डिजाइन प्रोजेक्ट्स को फंड किया जा चुका है।

सरकार ने हाल ही में ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में चार नई सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिससे कुल स्वीकृत परियोजनाओं की संख्या 10 हो गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने 79वें स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में घोषणा की कि 2025 के अंत तक भारत में निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स बाजार में उपलब्ध हो जाएंगे।

टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, माइक्रोन और फॉक्सकॉन जैसी प्रमुख कंपनियां गुजरात, उत्तर प्रदेश और असम में सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित कर रही हैं, जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी।

2025 की सेमीकॉन इंडिया प्रदर्शनी में 18 देशों के 300 से अधिक प्रदर्शकों के आने की संभावना है, जिससे भारत की एक उभरते वैश्विक सेमीकंडक्टर गंतव्य के रूप में स्थिति और मजबूत होगी।

सेमीकंडक्टर उद्योग संचार, स्वास्थ्य सेवा, परिवहन, रक्षा और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का केंद्र है और यह भारत के लिए आर्थिक सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता का भी विषय है।

वर्तमान सेमीकंडक्टर उद्योग पर कुछ देशों जैसे ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका का प्रभुत्व है। हाल में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों ने इस तरह के संकेंद्रण के जोखिम को उजागर किया है, जिसने भारत को आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण में भारी निवेश करने के लिए प्रेरित किया है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत का सेमीकंडक्टर क्षेत्र वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की आर्थिक सुरक्षा और रणनीतिक स्वायत्तता के लिए यह एक आवश्यक कदम है। हम सभी को इस प्रयास का समर्थन करना चाहिए।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग का भविष्य क्या है?
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि सरकार और निजी क्षेत्र दोनों ही इसमें बड़े निवेश कर रहे हैं।
सेमीकंडक्टर चिप्स क्यों महत्वपूर्ण हैं?
सेमीकंडक्टर चिप्स संचार, स्वास्थ्य, परिवहन और रक्षा सहित कई क्षेत्रों में आवश्यक हैं।
भारत में कितनी सेमीकंडक्टर परियोजनाएं चल रही हैं?
भारत में वर्तमान में 10 सेमीकंडक्टर परियोजनाएं स्वीकृत हैं और इसे और बढ़ाने की योजना है।