क्या ईईपीसी इंडिया ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में स्टील प्रोडक्ट्स को शामिल करने की मांग की?
सारांश
Key Takeaways
- ईईपीसी इंडिया ने स्टील उत्पादों को व्यापार वार्ता में शामिल करने की मांग की है।
- अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का असर भारतीय निर्यात पर हो रहा है।
- ईयू के साथ एफटीए बातचीत के महत्व को समझा गया।
- एमएसएमई की प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
- टैरिफ अंतर को कम करना भारतीय उद्योग के लिए फायदेमंद होगा।
नई दिल्ली, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल इंडिया (ईईपीसी इंडिया) ने सोमवार को केंद्र सरकार से विभिन्न प्रकार के स्टील और एल्युमिनियम प्रोडक्ट्स, विशेष रूप से एमएसएमई द्वारा उत्पादित वस्तुओं को अमेरिका के साथ चल रही वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में शामिल करने का अनुरोध किया है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इस इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स प्रमोशन बॉडी ने सरकार से यह भी आग्रह किया है कि यूरोपियन यूनियन (ईयू) के साथ चलने वाले फ्री ट्रेड एग्रीमेंट चर्चा में कोटा और आउट ऑफ कोटा टैरिफ स्तर को बनाए रखा जाए।
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स बॉडी का कहना है कि अमेरिका ने सेक्शन 232 के तहत 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है, जिसका सीधा प्रभाव इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट्स पर पड़ रहा है। इस कारण, यह आवश्यक हो जाता है कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते से संबंधित बातचीत में इन निर्दिष्ट उत्पादों को शामिल किया जाए।
ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन पंकज चड्डा ने कहा, "अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के कारण प्रतिस्पर्धियों से टैरिफ अंतर औसतन 30 प्रतिशत अधिक हो जाता है। इससे अमेरिकी बाजारों में हमारी स्थिति प्रभावित हो रही है। हालांकि, एक विशेष सहायता पैकेज के साथ यह अंतर 15 प्रतिशत तक घट सकता है, जिससे हम अपनी स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।"
इसके अतिरिक्त, ईईपीसी ने ईयू प्रस्ताव पर भी चिंता व्यक्त की है, जिसमें कोटा घटाने और आउट-ऑफ कोटा टैरिफ को 50 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया है। ईईपीसी का कहना है कि एक्सपोर्ट्स के वॉल्यूम और एफटीए चर्चाओं से कुछ उत्पादों का बाहर रहना एक समस्याग्रस्त कदम हो सकता है।
ईयू के साथ व्यापार को लेकर पंकज चड्डा ने कहा कि इसे एफटीए बातचीत के तहत लाया जाना चाहिए, क्योंकि एक बार एफटीए लागू हो जाने पर टैरिफ धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे।
ईईपीसी ने जोर दिया कि ईयू टैरिफ दर कोटा से स्टेनलेस-स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स को छू लेना चाहिए, क्योंकि एमएसएमई और स्ट्रैटेजिक इंपोर्टेंस में इनकी विशेष महत्वता है।