क्या दूसरी तिमाही के आंकड़ों में फेस्टिव सीजन का असर देखने को मिलेगा?
सारांश
Key Takeaways
- फेस्टिव सीजन ने जीडीपी वृद्धि दर को बढ़ाने में मदद की है।
- आर्थिक संकेतक सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं।
- ग्रामीण खपत और निवेश गतिविधियों में वृद्धि हो रही है।
- ई-कॉमर्स की गतिविधियां उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा दे रही हैं।
- जीएसटी की दरों में कटौती ने उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी साबित हुई है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। फेस्टिव सीजन के कारण भारत की आर्थिक विकास दर वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में लगभग 7.5 प्रतिशत रह सकती है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में साझा की गई।
एसबीआई रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों में बताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती निवेश गतिविधियों, ग्रामीण स्तर पर खपत में वृद्धि और सेवाओं तथा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मजबूत विकास से मिल रही है।
इस ट्रेंड को संरचनात्मक सुधारों जैसे जीएसटी 2.0 से सहायता मिल रही है, जिसने फेस्टिव डिमांड को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एसबीआई रिसर्च के अनुसार, अधिकतर आर्थिक संकेतक अब तेजी दिखा रहे हैं। कृषि, उद्योग, सेवाओं और उपभोग से जुड़े 50 प्रमुख संकेतकों में से 83 प्रतिशत ने दूसरी तिमाही में सुधार दिखाया, जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.5-8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है और जीवीए ग्रोथ करीब 8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाली तिमाही में व्यापक स्तर पर ग्रोथ मजबूत रहने की संभावना है। सितंबर से अक्टूबर तक चलने वाले फेस्टिव सीजन ने मांग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा, जीएसटी की दरों में कटौती और मजबूत ई-कॉमर्स गतिविधियों ने ग्राहक खर्च को बढ़ाने में मदद की है।
क्रेडिट और डेबिट कार्ड लेनदेन के आंकड़ों ने ऑटो, किराना, इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान और यात्रा जैसी श्रेणियों में मजबूत वृद्धि का संकेत दिया है।
मध्यम श्रेणी के शहरों में खर्च में सबसे ज्यादा वृद्धि देखी गई, जबकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में महानगरों ने बढ़त बनाई।
रिपोर्ट में पाया गया है कि "डेबिट कार्ड से की गई खरीदारी में किराना और सुपरमार्केट की वस्तुओं का बड़ा योगदान रहा।"
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने से अधिकांश प्रमुख उपभोग श्रेणियां अत्यधिक लचीली हो गई हैं, जिसका अर्थ है कि उपभोक्ताओं ने कम कर दरों पर मजबूत प्रतिक्रिया दी।
केवल वस्त्र क्षेत्र में कम लचीलापन दिखा। एसबीआई रिसर्च का अनुमान है कि एक सामान्य भारतीय उपभोक्ता अब अपने उपभोग व्यय पर प्रति माह लगभग 7 प्रतिशत की बचत कर सकता है, और जैसे-जैसे अधिक आंकड़े उपलब्ध होंगे, यह लाभ और भी बढ़ सकता है।