क्या जीएसटी सुधारों से कम टैक्स में भी ज्यादा राजस्व बढ़ोतरी संभव है?

Click to start listening
क्या जीएसटी सुधारों से कम टैक्स में भी ज्यादा राजस्व बढ़ोतरी संभव है?

सारांश

जीएसटी सुधारों ने साबित किया है कि कम टैक्स लगाने से भी सरकार की कमाई बढ़ाई जा सकती है। जानिए इस रिपोर्ट में क्या कहा गया है।

Key Takeaways

  • टैक्स दर को कम करने से सरकार की कमाई बढ़ सकती है।
  • टैक्स देने वालों की संख्या में वृद्धि अधिक लाभकारी है।
  • जीएसटी संग्रह में ४.५ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • अत्यधिक टैक्स लगाने से टैक्स चोरी संभव हो सकती है।
  • सरकार को तकनीक का उपयोग करना चाहिए।

नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जीएसटी 2.0 (वस्तु एवं सेवा कर) के अंतर्गत हाल ही में लागू किए गए सुधारों ने स्पष्ट कर दिया है कि टैक्स को सरल और थोड़ा कम रखने से भी सरकार की कमाई (राजस्व वृद्धि) में बढ़ोतरी हो सकती है। इसकी पुष्टि बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट ने की।

थिंक चेंज फोरम की रिपोर्ट में बताया गया है कि टैक्स दर को बढ़ाने के बजाय, टैक्स देने वालों की संख्या में वृद्धि करना अधिक लाभकारी साबित होता है।

रिपोर्ट के अनुसार, पहले यह धारणा थी कि जितना अधिक टैक्स होगा, उतनी ही अधिक कमाई होगी। लेकिन हाल के आंकड़ों ने इस सोच को गलत साबित कर दिया है। अक्टूबर २०२५ में जीएसटी संग्रह १.९५ लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में ४.५ प्रतिशत अधिक है। यह दर्शाता है कि लोग अब अधिक ईमानदारी से टैक्स चुका रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब अर्थव्यवस्था में कई छोटे और अनौपचारिक व्यवसाय होते हैं, तब टैक्स देने की आदत टैक्स रेट से अधिक महत्वपूर्ण होती है। भारत का टैक्स-से-जीडीपी अनुपात लगभग १७ प्रतिशत है, लेकिन प्रत्यक्ष करों का दायरा बहुत सीमित है और देश अधिकतर अप्रत्यक्ष करों पर निर्भर है।

रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि अत्यधिक टैक्स लगाने से लोग टैक्स चोरी करने लगते हैं। अगर टैक्स को कम रखा जाए तो अधिक लोग खुशी से टैक्स देंगे। जीएसटी से प्राप्त राजस्व इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि व्यापार धीरे-धीरे कागजी रूप में दर्ज किए जा रहे हैं।

थिंक चेंज फोरम ने सरकार को सुझाव दिया है कि बजट में टैक्स की उच्चतम दर को और न बढ़ाया जाए। साथ ही, कंप्यूटर और तकनीक की सहायता से अधिक लोगों को टैक्स के दायरे में लाया जाए। एमआरपी के आधार पर टैक्स लगाने से बचना चाहिए और जीएसटी की पूरी प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पेट्रोलियम, बिजली और अन्य गैर-प्रतिबंधित वस्तुओं को धीरे-धीरे जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए ताकि उद्योग की लागत कम हो सके और कर निष्पक्ष बना रहे। इसके अतिरिक्त, सरकार को काले धन, तस्करी, और टैक्स चोरी को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने चाहिए।

इस रिपोर्ट के अनुसार, बजट में तस्करी, अवैध व्यापार, और टैक्स चोरी के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि ईमानदारी से टैक्स देने वालों को कोई नुकसान न हो और सभी लोग नियमों का पालन करें।

Point of View

यह स्पष्ट है कि सरकार को जीएसटी सुधारों को सही दिशा में ले जाने की आवश्यकता है। टैक्स की दरों को नियंत्रित करने से ही हमारे देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सकती है। हमें ईमानदार टैक्सदाताओं का समर्थन करना चाहिए।
NationPress
24/12/2025

Frequently Asked Questions

जीएसटी 2.0 में क्या सुधार किए गए हैं?
जीएसटी 2.0 में टैक्स की दरों को सरल और कम रखने की दिशा में सुधार किए गए हैं, जिससे सरकार की कमाई में वृद्धि हो सकती है।
क्या टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ने से सरकार को लाभ होगा?
हाँ, टैक्स देने वालों की संख्या में वृद्धि से सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा।
भारत में टैक्स-से-जीडीपी अनुपात क्या है?
भारत का टैक्स-से-जीडीपी अनुपात लगभग 17 प्रतिशत है।
अत्यधिक टैक्स लगाने से क्या होता है?
अत्यधिक टैक्स लगाने से लोग टैक्स चोरी करने लगते हैं।
सरकार को किन क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है?
सरकार को तकनीक का उपयोग करके अधिक लोगों को टैक्स के दायरे में लाने और टैक्स प्रणाली को सरल बनाने की आवश्यकता है।
Nation Press