क्या आयकर विभाग ने आईटीआर फॉर्म-3 जारी करके बिजनेस इनकम वालों को राहत दी है?

सारांश
Key Takeaways
- आईटीआर फॉर्म-3 करदाताओं को टैक्स भरने में सहूलियत प्रदान करेगा।
- बिजनेस और शेयर ट्रेडिंग से जुड़े करदाता इसका उपयोग कर सकते हैं।
- नई टैक्स रिजीम का विकल्प उपलब्ध है।
- पूंजीगत लाभ की रिपोर्टिंग में बदलाव किया गया है।
- सरकार ने कर दरों में वृद्धि की है।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आयकर विभाग ने बुधवार को आईटीआर फॉर्म-3 को जारी किया है। इससे उन करदाताओं को टैक्स भरने में सहायता मिलेगी, जिनकी आय का मुख्य स्रोत बिजनेस इनकम और शेयर ट्रेडिंग इनकम (फ्यूचर और ऑप्शन) तथा सूचीबद्ध शेयरों में निवेश से रिटर्न है।
हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएल) या कोई भी व्यक्ति जो बिजनेस या किसी पेशे से आय प्राप्त करता है, वह भी आईटीआर-3 के माध्यम से रिटर्न दाखिल कर सकता है। कंपनियों के निदेशक, जिन्होंने वित्तीय वर्ष के दौरान किसी भी समय गैर-सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों में निवेश किया है, साथ ही अन्य स्रोतों से आय या वेतन एवं पेंशन और संपत्ति से आय प्राप्त करने वाले भी इस आईटीआर फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं।
पूंजीगत लाभ या विदेशी परिसंपत्तियों से अर्जित आय, व्यवसाय या पेशे से लाभ प्राप्त करने वाले करदाता, जो फॉर्म आईटीआर-1 (सहज), आईटीआर-2, या आईटीआर-4 (सुगम) दाखिल करने के योग्य नहीं हैं, वे भी आईटीआर-3 का उपयोग कर सकते हैं।
आयकर विभाग के अनुसार, फॉर्म आईटीआर-3 में अब करदाताओं को यह जानकारी देनी होगी कि क्या उन्होंने असेसमेंट ईयर 2024-25 (पिछले वित्तीय वर्ष) में फॉर्म 10-आईईए दाखिल किया था, साथ ही यह भी बताना होगा कि क्या वे वर्तमान टैक्स असेसमेंट ईयर के लिए नई टैक्स रिजीम को जारी रखना चाहते हैं या नहीं।
पूंजीगत लाभ कर दरों में बदलाव के कारण, शेड्यूल्ड कैपिटल गेन और अन्य संबंधित धाराओं को संशोधित किया गया है। अब, करदाताओं को 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद में किए गए पूंजीगत लाभ लेनदेन की अलग-अलग रिपोर्ट करनी होगी।
सरकार ने 2024 के बजट में सभी वित्तीय और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया। कुछ परिसंपत्तियों, जैसे इक्विटी पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (एसटीसीजी) कर को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया।
नए पूंजीगत कर नियमों के तहत, इंडेक्सेशन लाभ प्राप्त करने के लिए करदाताओं को 23 जुलाई 2024 से पहले हस्तांतरित किसी भी भूमि या भवन के अधिग्रहण और सुधार की लागत का विवरण अलग से प्रदान करना होगा।