क्या आने वाले हफ्तों में खाद्य तेलों की कीमतें कम होंगी?

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क्या आने वाले हफ्तों में खाद्य तेलों की कीमतें कम होंगी?

सारांश

खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट की संभावना है, जिसका मुख्य कारण कस्टम ड्यूटी में कटौती है। जानिए कैसे यह बदलाव उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगा और क्या इसके पीछे अन्य कारण भी हैं?

Key Takeaways

  • खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट की संभावना है।
  • सरकार द्वारा कस्टम ड्यूटी में कटौती की गई है।
  • उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एमआरपी में कमी के निर्देश दिए हैं।
  • खाद्य मुद्रास्फीति मई में 2.8 प्रतिशत पर आ गई है।
  • भारत खाद्य तेलों में दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है।

नई दिल्ली, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। घरेलू खुदरा बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आने वाले हफ्तों में गिरावट की संभावना है। इसका मुख्य कारण रिफाइनर्स द्वारा लागत में कमी को उपभोक्ताओं तक पहुँचाना है। 2025 की पहली छमाही में वैश्विक मूल्य वृद्धि और मुद्रा के मूल्य में कमी के चलते खाद्य तेलों की कीमतें घट गई थीं।

केयरएज द्वारा मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया कि खाद्य तेलों की कीमतों में कमी की संभावना का मुख्य कारण सरकार द्वारा 30 मई को कस्टम ड्यूटी में कटौती करना है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने खाद्य तेल कंपनियों को उनके अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कमी लाने और वितरकों को मूल्य (पीटीडी) दरों पर साप्ताहिक अद्यतन देने के निर्देश भी जारी किए हैं।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मई में खाद्य मुद्रास्फीति 2.8 प्रतिशत तक कम हो गई है और भारतीय मौसम विभाग ने सामान्य से अधिक मजबूत मानसून का अनुमान लगाया है। इन घटनाक्रमों से खाद्य तेल की खुदरा कीमतों में गिरावट की गति में वृद्धि होने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच शुल्क अंतर में वृद्धि से घरेलू रिफाइनर्स की प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़ेगी। कच्चे पाम तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को अब घटाकर 10 प्रतिशत किया गया है, जबकि रिफाइंड खाद्य तेलों पर कस्टम ड्यूटी 32.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है। इससे कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों के बीच कस्टम ड्यूटी का अंतर 8.25 प्रतिशत से बढ़कर 19.25 प्रतिशत हो गया है।

संशोधित कस्टम ड्यूटी संरचना से प्रमुख खिलाड़ियों को लाभ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि इससे रिफाइनर रिफाइंड तेलों के बजाय कच्चे खाद्य तेल के आयात को प्राथमिकता देंगे। इससे क्षमता उपयोग में सुधार होगा और घरेलू प्रसंस्करण में वृद्धि के माध्यम से रिफाइनिंग मार्जिन में भी वृद्धि होगी।

भारत खाद्य तेलों में दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है। देश अपनी जरूरतों का 55-60 प्रतिशत इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात करता है। ऑयल ईयर 2023-24 में भारत ने 15.96 मिलियन टन (एमटी) खाद्य तेलों का आयात किया है। इसमें पाम ऑयल की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत थी, जबकि बाकी हिस्सेदारी सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की थी।

Point of View

हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि खाद्य तेलों की कीमतों में कमी का सीधा असर हमारे दैनिक जीवन पर पड़ता है। यह सरकार की नीति और बाजार की स्थिति का स्पष्ट उदाहरण है। हम सबको इस बदलाव से लाभ उठाने की उम्मीद है।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

खाद्य तेलों की कीमतों में कब गिरावट आएगी?
खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आने वाले हफ्तों में होने की संभावना है।
कस्टम ड्यूटी में कटौती का क्या असर होगा?
कस्टम ड्यूटी में कटौती से रिफाइनर्स को लाभ होगा और वे उपभोक्ताओं को कीमतों में कमी का लाभ दे सकेंगे।
भारत खाद्य तेलों का कितना आयात करता है?
भारत खाद्य तेलों में दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है और अपनी जरूरतों का 55-60 प्रतिशत इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात करता है।