क्या फेस्टिव डिमांड के कारण सोना-चांदी की कीमतों में 1 प्रतिशत का उछाल आया है?
सारांश
Key Takeaways
- सोने की कीमतें 1,25,200 रुपए प्रति 10 ग्राम पर स्थिर हैं।
- चांदी की कीमतें 1,56,900 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी हैं।
- फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती ने बाजार में सकारात्मक प्रभाव डाला है।
- फेस्टिव सीजन में सोने की मांग बढ़ी है।
- निवेशकों का ध्यान अमेरिका के आर्थिक डेटा पर है।
मुंबई, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती और फेस्टिव सीजन की बढ़ती मांग ने बाजार में सकारात्मक माहौल का निर्माण किया है, जिसके परिणामस्वरूप मंगलवार को सोने के दाम में मजबूती आई।
पहले के कारोबार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोने की दिसंबर वायदा कीमतें सुबह ११ बजकर ५ मिनट पर १,२५,२०० रुपए प्रति १० ग्राम के स्तर पर स्थिर रहीं।
इसी प्रकार, चांदी की कीमतों में भी तेजी देखी गई। यहाँ चांदी की दिसंबर वायदा कीमतें १,५६,९०० रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी रहीं।
विश्लेषकों ने बताया कि रुपए में सोने का सपोर्ट लेवल १,२३,१५० - १,२२,५८० रुपए प्रति १० ग्राम पर है, वहीं रेजिस्टेंस १,२४,६५० - १,२५,२०० रुपए प्रति १० ग्राम पर है। इसी तरह, चांदी का सपोर्ट लेवल १,५३,६५० - १,५२,८०० रुपए प्रति किलोग्राम और रेजिस्टेंस १,५६,१४० - १,५७,००० रुपए प्रति किलोग्राम पर बनाया गया है।
सोने-चांदी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आई मजबूती के चलते घरेलू बाजारों में भी यह तेजी देखी जा रही है।
यूएस फेड की ब्याज दरों में कमी की आशा ने निवेशकों को सेफ-हेवन एसेट्स गोल्ड की ओर आकर्षित किया, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें पिछले सत्र में २ प्रतिशत तक बढ़ गईं।
सोना अक्सर लो-इंटरेस्ट रेट वाले माहौल में बेहतर प्रदर्शन करता है, क्योंकि यह कीमती धातु बॉंड और डिपॉजिट की तरह ब्याज उत्पन्न नहीं करती।
जब ब्याज दरें कम होती हैं और अन्य निवेशों से रिटर्न घटता है, तो सोना निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाता है।
भारत में शादियों के इस सीजन में सोने की मांग बढ़ जाती है, जिससे कीमतों में और तेजी आती है।
निवेशकों का ध्यान अब अमेरिका के महत्वपूर्ण आर्थिक डेटा पर केंद्रित है, जिसमें रिटेल सेल, बेरोजगारी दावे और प्रोड्यूसर प्राइस इंफ्लेशन के आंकड़े शामिल हैं।
इन आंकड़ों में देरी हुई है और यह फेड के आगामी नीति निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार का माहौल सकारात्मक बना हुआ है और कीमतों में उतार-चढ़ाव आने वाले वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगा।