क्या आगामी बजट में सरकार का ध्यान दुर्लभ खनिजों और एआई पर होगा?
सारांश
Key Takeaways
- दुर्लभ खनिजों पर ध्यान केंद्रित होगा।
- एआई और ऑटोमेशन को प्राथमिकता दी जाएगी।
- स्किलिंग पर जोर दिया जाएगा।
- एमएसएमई के लिए लोन की चुनौती।
- भारत-न्यूजीलैंड एफटीए का महत्व।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। इंडस्ट्री बॉडी पीएचडीसीसीआई के सीईओ और महासचिव रणजीत मेहता ने सोमवार को कहा कि आगामी बजट में सरकार का फोकस दुर्लभ खनिजों, एआई और ऑटोमेशन पर होने की संभावना है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए मेहता ने कहा, "आगामी बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा फरवरी 2026 में प्रस्तुत किया जाएगा और इस बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च और पूंजीगत व्यय बढ़ने की संभावना है। इसके साथ ही सरकार का ध्यान दुर्लभ खनिजों, एआई और ऑटोमेशन पर होने की उम्मीद है।"
उन्होंने आगे कहा कि इस बजट में स्किलिंग और सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा, क्योंकि देश विश्व में ह्यूमन कैपिटल के हब के रूप में उभर रहा है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मेहता ने कहा कि देश में एमएसएमई के सामने सबसे बड़ी चुनौती किफायती दरों पर लोन प्राप्त करना है। सरकार ने एमएसएमई के लिए कई विशेष योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन इनके क्रियान्वयन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इसके अलावा, एमएसएमई के समक्ष एक बड़ी चुनौती टेक्नोलॉजी और बाजार तक पहुंच है। इस पर भी सरकार को ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
इससे पहले रणजीत मेहता ने कहा था कि भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे देश का वैश्विक स्तर पर प्रभाव बढ़ेगा।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए मेहता ने कहा, "भारत-न्यूजीलैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से देश का वैश्विक स्तर पर प्रभाव मजबूत होगा। इसके तहत भारत का अधिकांश निर्यात जीरो ड्यूटी पर होगा। इससे इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल, फार्मा और कृषि क्षेत्रों को लाभ होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "भारत में 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या अभी भी कृषि और डेयरी पर निर्भर है और कई किसान के पास जमीन एक हेक्टेयर से कम है। इस कारण सरकार हर एफटीए में यह सुनिश्चित करती है कि किसानों के हितों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े। इस एफटीए में भी इस बात का ध्यान रखा गया है।"