क्या खून बन गया है बीमारी की जड़? आयुर्वेद से जानें रक्तदोष दूर करने के उपाय
सारांश
Key Takeaways
- रक्त को शुद्ध रखना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
- नीम और लहसुन जैसे प्राकृतिक उपाय फायदेमंद हैं।
- संतुलित आहार और जीवनशैली में सुधार करना जरूरी है।
- आयुर्वेद में कई घरेलू उपाय उपलब्ध हैं।
- तनाव प्रबंधन से रक्तदोष में सुधार संभव है।
नई दिल्ली, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में रक्त अर्थात खून केवल एक द्रव नहीं है, बल्कि यह जीवन, ऊर्जा, रंग और तेज का वास्तविक स्रोत है। जब खून में गंदगी या दोष (वात, पित्त, कफ) बढ़ जाते हैं, तो इसे रक्तदोष कहा जाता है।
यह तब होता है जब हमारा पाचन कमजोर हो जाता है, हम गलत आहार का सेवन करते हैं या शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप धीरे-धीरे खून अशुद्ध हो जाता है और शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बनता है।
रक्तदोष के कई कारण होते हैं। अत्यधिक मसालेदार, तला-भुना या पैकेट वाला खाना, कब्ज, तनाव और नींद की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, दवाइयों का अत्यधिक सेवन, शराब का प्रयोग, हार्मोनल असंतुलन या संक्रमण भी खून को दूषित कर सकते हैं। जब खून साफ नहीं रहता, तो इसका सबसे पहले असर त्वचा पर दिखता है। चेहरे पर मुंहासे, खुजली, दाने, बालों का झड़ना, थकान, जोड़ों का दर्द और यहां तक कि लिवर व किडनी की समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं।
आयुर्वेद में रक्त को 'जीवनीय तत्व' कहा गया है। इसलिए खून को शुद्ध रखना अत्यंत आवश्यक है। आयुर्वेद में कई सरल घरेलू उपाय दिए गए हैं जो बिना किसी साइड इफेक्ट के खून को साफ करते हैं, जैसे कि रोज सुबह खाली पेट नीम की कुछ पत्तियां या उसका काढ़ा पीने से खून की अशुद्धता दूर होती है। मंजिष्ठा नामक जड़ी-बूटी भी बहुत लाभकारी है। इसका चूर्ण दूध या गुनगुने पानी के साथ लेने से पिंपल्स और त्वचा रोग में राहत मिलती है। त्रिफला चूर्ण भी पाचन को सुधारता है और शरीर से टॉक्सिन्स निकालता है।
लहसुन और गिलोय को खून को साफ करने के लिए बेहतरीन उपाय माना जाता है। रोजाना २ कच्चे लहसुन की कलियां गुनगुने पानी के साथ लें और सुबह गिलोय का रस पियें, इससे इम्युनिटी बढ़ती है और खून शुद्ध रहता है। चुकंदर और गाजर का जूस भी हीमोग्लोबिन बढ़ाने और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। वहीं नींबू-शहद वाला पानी सुबह खाली पेट पीने से लिवर साफ रहता है और शरीर हल्का महसूस होता है।
केवल दवाओं से ही नहीं, बल्कि जीवनशैली में सुधार करना भी आवश्यक है। रोजाना गुनगुना पानी पियें, साधारण भोजन करें, चीनी और मैदे वाले खाद्य पदार्थों से बचें। थोड़ा व्यायाम और प्राणायाम (विशेषकर कपालभाति और अनुलोम-विलोम) अवश्यम्भावी करें। पूरी नींद लें और तनाव से दूर रहें।