क्या जानलेवा ब्रेन स्ट्रोक आपकी जिंदगी को खत्म कर सकता है? ऐसे रखें मस्तिष्क का खास ख्याल

सारांश
Key Takeaways
- ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानें।
- योग और प्राणायाम से मस्तिष्क का ध्यान रखें।
- ओमेगा-3 युक्त आहार का सेवन करें।
- सिर की मालिश से रक्त संचार में सुधार करें।
- तुरंत चिकित्सीय सहायता प्राप्त करें।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो पूरे शरीर को दिशा-निर्देश प्रदान करता है। लेकिन जब मस्तिष्क में कोई समस्या होती है, तो यह आपात स्थिति का संकेत हो सकता है। आजकल की तेज़-तर्रार और तनावपूर्ण ज़िंदगी में ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
यदि हम भारत में 2025 के आंकड़ों पर नज़र डालें, तो हर 20 मिनट में एक नया ब्रेन स्ट्रोक का मामला सामने आ रहा है। साल भर में 18 लाख से ज्यादा नए मामलों की रिपोर्ट होती है। ऐसे में इस बीमारी के बारे में जानकारी प्राप्त करना और इससे निपटने के उपाय सीखना अत्यंत आवश्यक है।
ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर चिकित्सा आपात स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क की नसों में खून का प्रवाह घट जाता है या कोई धमनी फट जाती है। इससे मस्तिष्क में खून जमने लगता है, जिससे मस्तिष्क को आवश्यक ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और मस्तिष्क कोशिकाएं धीरे-धीरे मरने लगती हैं। इस स्थिति में हर एक सेकंड कीमती होता है। ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण गंभीर होते हैं, जैसे शरीर का ढीला पड़ना, चेहरे का टेढ़ा होना और बोलने में कठिनाई होना। ऐसे समय में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
ब्रेन स्ट्रोक के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: पहला इस्कीमिक स्ट्रोक और दूसरा हेमरेजिक स्ट्रोक। इस्कीमिक स्ट्रोक में रक्त का थक्का धमनी को बाधित करता है, जिससे ऑक्सीजन सही तरीके से नहीं पहुँच पाती। यह जानलेवा नहीं होता और डॉक्टर के उपचार से ठीक किया जा सकता है। लेकिन हेमरेजिक स्ट्रोक जानलेवा हो सकता है, जिसमें सिर की धमनी फट जाती है। इस स्थिति में तत्काल चिकित्सा सहायता आवश्यक होती है। मस्तिष्क का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है और इसके लिए पहले से सावधानी बरतना आवश्यक है।
मस्तिष्क को शांत रखने के लिए योग और प्राणायाम का अभ्यास किया जा सकता है। रोजाना सेतु बंधासन, सर्वांगासन, भ्रामरी प्राणायाम, पश्चिमोत्तानासन और हलासन करने से मस्तिष्क में रक्त संचार बेहतर होता है।
सूखे मेवों का सेवन करना भी लाभकारी होता है। मस्तिष्क के लिए ओमेगा-3 अति आवश्यक है, और इसलिए अखरोट और अलसी के बीज सबसे प्रभावी होते हैं। इनमें ओमेगा-3 और फैटी एसिड की भरपूर मात्रा होती है, जो याददाश्त को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, अदरक और लहसुन का सेवन भी फायदेमंद होता है, क्योंकि ये रक्त को पतला करते हैं और थक्के जमने की संभावना को कम करते हैं।
सिर की मालिश करके भी मस्तिष्क को शांत किया जा सकता है। तिल और नारियल का तेल लगाकर सिर और गर्दन की मालिश करने से रक्त संचार में सुधार होता है और धमनियां बेहतर तरीके से कार्य करती हैं।