क्या गेहूं, ज्वार या बाजरा, कौन सी रोटी का सेवन करना होगा सबसे ज्यादा फायदेमंद?
सारांश
Key Takeaways
- गेहूं की रोटी में ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
- बाजरे की रोटी आयरन से भरपूर होती है।
- ज्वार की रोटी वजन नियंत्रण में सहायक है।
- रागी की रोटी हड्डियों के लिए फायदेमंद है।
- रोटियों का सही समय पर सेवन करें।
नई दिल्ली, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के विभिन्न राज्यों में गेहूं की रोटी, बाजरे और मक्के की रोटी का सेवन किया जाता है। हर प्रकार की रोटी के अपने विशेष गुण और लाभ होते हैं। आज हम विभिन्न रोटियों के लाभ बताएंगे, साथ ही यह भी जानेंगे कि किस समय किस रोटी का सेवन नहीं करना चाहिए।
सबसे पहले बात करते हैं गेहूं की रोटी की। यह उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में खाई जाती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी, और मिनरल होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। हालांकि, इसका अधिक सेवन वजन बढ़ा सकता है। इसके अलावा, शुगर और थायराइड के मरीजों के लिए गेहूं के आटे में अन्य आटे का मिश्रण करना बेहतर है। इसे सुबह और दोपहर में खाया जा सकता है, लेकिन रात में इसके सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि इसे पचाना कठिन होता है।
बाजरे की रोटी भी स्वाद और सेहत के लिए लाभकारी होती है। इसमें आयरन की प्रचुरता होती है, जो खून की कमी से बचाती है। हालांकि, गर्मियों में इसका सेवन कम करना चाहिए। सर्दियों में दोपहर में इसका सेवन करना फायदेमंद होता है, क्योंकि बाजरा भारी होता है।
ज्वार की रोटी मुख्यत: कर्नाटक, मध्य प्रदेश, और राजस्थान में खाई जाती है। इसमें ग्लूटेन नहीं होता, जिससे यह अधिक पौष्टिक बनती है। इसमें कम कैलोरी होती है, जो बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में सहायक है। शुगर के मरीजों के लिए ज्वार की रोटी फायदेमंद होती है। इसे दोपहर या रात में खाया जा सकता है।
रागी की रोटी को पित्त को संतुलित करने वाला माना जाता है। यदि शरीर में पित्त दोष की वृद्धि है, तो रागी की रोटी का सेवन किया जा सकता है। इसमें कैल्शियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा होती है, और यह पचने में भी आसान होती है। रागी की रोटी खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं और इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसका सेवन सुबह नाश्ते और दोपहर के भोजन में करना चाहिए।