क्या आप जानते हैं पाचन शक्ति को सुधारने के प्रभावी उपाय?
सारांश
Key Takeaways
- जठराग्नि का संतुलन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
- अदरक का सेवन पाचन को बढ़ावा देता है।
- लहसुन और त्रिकटु चूर्ण से जठराग्नि तेज होती है।
- तेजपत्ता कफ और पाचन समस्याओं को दूर करता है।
- स्वस्थ आहार और आदतें जीवनभर स्वास्थ्य बनाए रखती हैं।
नई दिल्ली, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हमारी सेहत का संबंध सीधे पेट और पाचन शक्ति से होता है। आयुर्वेद में यह बताया गया है कि यदि पेट की जठराग्नि यानि पाचन क्षमता सही है, तो शरीर की कोशिकाओं को पोषण रस हर अंग में पहुँचता है। इसके विपरीत, यदि यह ठीक नहीं है, तो शरीर बीमारियों का शिकार हो जाता है।
आयुर्वेद में भोजन तभी औषधि बनता है जब जठराग्नि प्रबल हो। यह पाचन रस को उत्पन्न करता है और शरीर के हर अंग को पोषित करता है। यदि जठराग्नि धीमी होती है, तो पौष्टिक आहार भी शरीर को लाभ नहीं पहुँचाता। इसीलिए, जठराग्नि का संतुलित रहना आवश्यक है। इसके लिए आयुर्वेद में कई प्रभावी उपाय सुझाए गए हैं। भोजन से पहले कुछ सरल आदतों के माध्यम से जीवनभर स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सकता है, जैसे अदरक का सेवन।
अदरक को आयुर्वेद में अग्नि का दीपक माना गया है। इसे नींबू के रस और सेंधा नमक के साथ लेने से पेट में बनने वाला अम्ल और क्षार संतुलित रहता है, जिससे जठराग्नि बढ़ती है। लहसुन और त्रिकटु चूर्ण का सीमित मात्रा में सेवन भी जठराग्नि को तेज करने में सहायक है। एक चौथाई चम्मच लहसुन का पाउडर और आधा चम्मच त्रिकटु पाउडर, सेंधा नमक के साथ सेवन करें। यह पेट की सेहत के लिए लाभकारी है।
एक लहसुन की कली, जीरा पाउडर, सेंधा नमक और नींबू मिलाकर एक चम्मच सेवन करने से लिवर की कार्यक्षमता बढ़ती है और जठराग्नि तेज होती है। तड़के में इस्तेमाल होने वाला तेजपत्ता भी पेट के लिए फायदेमंद होता है। इसके लिए 1 तेजपत्ता को पानी में उबालकर कुछ देर ढककर रखें और फिर उसका सेवन करें। तेजपत्ता कफ की समस्या से राहत दिलाने के साथ ही पाचन अग्नि को भी बढ़ाता है।