क्या फ्लोराइड आईक्यू और सीखने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है? जानें नई रिसर्च के बारे में
सारांश
Key Takeaways
- फ्लोराइड का सामान्य स्तर बच्चों के लिए लाभकारी हो सकता है।
- उच्च स्तर के फ्लोराइड से आईक्यू में कमी हो सकती है।
- फ्लोराइड के स्रोतों में पानी, खाद्य पदार्थ और सप्लीमेंट्स शामिल हैं।
- नीति निर्माण में फ्लोराइड की मात्रा, स्रोत और समयावधि महत्वपूर्ण हैं।
- फ्लोराइड का संतुलित और नियंत्रित उपयोग आवश्यक है।
नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पेयजल में फ्लोराइड को वर्षों से दांतों के सड़ने से बचाने का एक प्रभावी उपाय माना जाता रहा है। लेकिन हाल के समय में यह चर्चा उठी है कि क्या फ्लोराइड का बच्चों की सीखने-समझने की क्षमता या आईक्यू से कोई संबंध है। अब एक नया अध्ययन इस विषय पर एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहा है। सामान्य स्तर पर फ्लोराइड शायद जोखिम से कम और लाभदायक हो सकता है।
इस अध्ययन में, जो अमेरिका में किया गया, यह पाया गया कि जिन किशोरों ने अपने बचपन में फ्लोराइडयुक्त पानी का सेवन किया, जो आमतौर पर सार्वजनिक जल में पाया जाता है, उन्होंने गणित, भाषा-शब्दावली और अन्य सीखने-समझने वाले टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन किया। शोधकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि यह संकेत देता है कि सामान्य फ्लोराइड स्तरों पर बच्चों की कॉग्निटिव क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव का डर शायद यथार्थ नहीं है।
हालांकि, 2024 में प्रस्तुत एक व्यापक समीक्षा-विश्लेषण ने यह निष्कर्ष निकाला कि उच्च स्तर के फ्लोराइड (उदाहरण के लिए 1.5 मिलीग्राम/लीटर से अधिक) के अंतर्गत बच्चों में आईक्यू में कमी देखी गई। इस समीक्षा में कहा गया है कि जब फ्लोराइड का स्तर 1.5 मिलीग्राम/लीटर से कम हो, तो आईक्यू-प्रभाव के आंकड़े कम मजबूत होते हैं।
इस प्रकार, दोनों प्रकार के शोधों को मिलाकर यह स्पष्ट होता है कि सामान्य स्तर पर फ्लोराइड बच्चों की पढ़ने-समझने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डाल रहा है, बल्कि कुछ परिस्थितियों में लाभ भी दे सकता है। वहीं, अत्यधिक ऊंचे स्तरों पर अध्ययन बताते हैं कि जोखिम संभव है, लेकिन ये स्तर सामान्य सार्वजनिक जल आपूर्ति में दुर्लभ हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बच्चों को केवल पानी से ही नहीं, बल्कि अन्य स्रोतों (खाद्य पदार्थ, पेय, सप्लीमेंट्स आदि) से भी फ्लोराइड मिल सकता है। नीति-निर्माण के दृष्टिकोण से यह अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संकेत करता है कि फ्लोराइड की मात्रा, स्रोत और समयावधि बहुत मायने रखती है।
भविष्य में और देश-विशिष्ट शोधों, जल स्रोतों के मानकों और बच्चों के लंबे समय तक अध्ययन की आवश्यकता होगी ताकि यह स्पष्ट हो सके कि भारत जैसे देशों में विभिन्न भू-वैज्ञानिक परिस्थितियों में फ्लोराइड का क्या प्रभाव होता है। यह नया शोध दर्शाता है कि जरूरी नहीं कि फ्लोराइड हर स्थिति में हानिकारक हो; वास्तव में इसके उपयोग से दांतों और मस्तिष्क दोनों को लाभ मिल सकता है, बशर्ते कि इसका उपयोग संतुलित और नियंत्रित हो।